अल्मोड़ा :::- सातो ऑठो पर्व की नगर में धूम मची हुई है दुगालखोला में चंद्रमणि भट्ट के आवास पर महिलाओं द्वारा सातो आठो पर्व बड़ी धूमधाम से बनाया जा रहा है। इस कार्यक्रम में माँ नंदा को समर्पित गीत गाए जा रहे हैं जिसमें गौरा महेश्वरी और गणेश तथा नंदा के मायके आने पर एक बेटी की व्यथा को समाज के सामने उजागर करने का प्रयास किया जाता है ।
कि खैछे नन्दा हो यो भूखे भदौ मे , ——- एक मार्मिक गीत है जिसे महिलाये मार्मिक ढंग से गाती है ।
कार्यक्रम मे झोड़ा नृत्य चाचरी व स्वाँग के माध्यम से भगवती नन्दा के विविध चरित्रों को सामने लाया गया । गौरा के पुत्र गणेश को प्यार व दुलार से सहलाते व नचाती हुई महिलाये प्यार व दुलार वाला गीत कुछ इस प्रकार गा रही है।
हौलोरी बाला हौलौरी , यह गीत बहुत ही मार्मिक ढंग से उकेरा गया है। गौरा का मायके पर हक जताना व भाभियों का टाल मटौल करना इस पर्व की विशेषता है अन्त में जब गौरा को हक नही मिलता तो गौरा रूठने लगती है। श्रपित होने के डर से भैय्या व भाभिया नन्दा को उसका हक देने के लिये तैयार हो जाते है ।
इस कार्यक्रम में संयोजक तारा भट्ट,भगवती गुर्रानी, भावना काण्डपाल, खष्टी भट्ट , संगीता भट्ट ,कमला भट्ट ,निर्मला दुर्गापाल, महिला कल्याण संस्था की अध्यक्ष रीता दुर्गापाल , दीपा जोशी , जानकी काण्डपाल , गंगा असवाल, तनुजा गुर्रानी , प्रेमा सुु्प्याल ,मन्जू जोशी , आशा पाण्ड़े कौशल्या पाण्डे , दीपा लोहनी , रमा विष्ट ,गीता पोखरिया ,हेमा पाण्ड़े , पुष्पा,भट्ट आदि महिलाये शामिल रही ।