नैनीताल ::::- कुमाऊँ विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार की ओर से पीएचडी एवं पोस्ट-डॉक अध्येताओं को दी जाने वाली वाइज- पीएचडी/पोस्ट-डॉक अध्येतावृत्ति के लिए रसायन विज्ञान विषय के विषय विशेषज्ञों की समिति की बैठक आयोजित हुई। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) का उद्देश्य देश में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष को बढ़ावा देना है। डीएसटी शिक्षा प्रणाली, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास के माध्यम से वैज्ञानिकों को देश में सबसे बड़ा बाह्य अनुसंधान और विकास समर्थन प्रदान करता है।
कुमाऊँ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दीवान एस. रावत इस उच्चस्तरीय विषय-विशेषज्ञ समिति के सदस्य हैं। उनकी पहल पर राष्ट्रीय स्तर की विषय विशेषज्ञों की समिति की तीन दिवसीय बैठक पहली बार नैनीताल में आयोजित की जा रही है। इस उच्च स्तरीय बैठक में कई प्रतिष्ठित विशेषज्ञ हिस्सा ले रहे हैं, जिनमें यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद से प्रो. ललिथा गुरुप्रसाद, इंस्टिट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी मुंबई से प्रो. भालचंद्र भाणगे, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी हैदराबाद से प्रो. सुतापा घोष, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी उत्तर प्रदेश से प्रो. मृत्युंजय डी पांडे, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी गुवाहाटी से प्रो. थर्मलिंगम पुन्नीयमुर्ति, पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से प्रो. सोनल सिंघल, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी श्रीनगर से प्रो. कौसर मजीद, सीएसआईआर-नेशनल केमिकल लेबोरेटरी पुणे से प्रो. कधिरावन शंमुगनाथन, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च अहमदाबाद से प्रो. रवि शाह, शिव नादर यूनिवर्सिटी नोएडा से प्रो. बिमलेश लोचब और डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के वाइज-किरण डिवीजन की हेड डॉ. वंदना सिंह शामिल हैं।
इस बैठक का उद्देश्य पीएच.डी. और पोस्ट-डॉक अध्येताओं को अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में समर्थन और मार्गदर्शन प्रदान करना था, जिससे कि वे अपने अनुसंधान कार्यों में और अधिक उत्कृष्टता प्राप्त कर सकें। इस तीन दिवसीय बैठक में रसायन विज्ञान विषय से सम्बंधित विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा की जायेगी और रसायन विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास के नए रास्तों की खोज की जायेगी।
प्रो. दीवान एस. रावत ने इस अवसर पर कहा, “यह बैठक विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के विज्ञान और प्रौद्योगिकी को देश में बढ़ावा देने और वैज्ञानिकों को बाह्य अनुसंधान और विकास समर्थन प्रदान करने की महत्वपूर्ण पहल का हिस्सा है। यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हम नैनीताल में इस महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन कर रहे हैं। इस तरह की पहल से हमारे विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त होगी और हमारे अध्येताओं को अत्यधिक लाभ मिलेगा।”