मालधानचौड़ /रामनगर :::- राजकीय महाविद्यालय मालधनचौड़ में डॉ.सुशीला सूद के निर्देशन पर एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी मनोज कुमार द्वारा कृमि दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किया। इस दौरान बताया कि पेट के कीड़े मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं यदि इस पर ध्यान नहीं दिया जाए तो यह समस्या गंभीर परिणाम सामने ला सकती है। पेट के कीड़े यानि कृमि के नियंत्रण पर ध्यान दिलाने के लिए ही राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस यानि नेशनल डीवॉर्मिंग डे मनाया जाता है।

कार्यक्रम में राजकीय सामुदायिक केंद्र मालधनचौड़ के चिकित्साधिकारी डॉ.विवेक चौहान ने बताया कि पेट में पाए जाने वाले कीड़े जैसे राउंडवॉर्म, व्हिपवॉर्म, हुकवॉर्म शरीर पर गंभीर समस्या पैदा कर सकते हैं।
यह कीड़े परजीवी होते हैं जो भोजन और अस्तित्व के लिए मानव आंतों में रहते हैं और लोगों में विशेषकर बच्चों में रक्त हानि, ख़राब पोषण का कारण बनते हैं। मुख्य रूप से यह कीड़ों का संक्रमण खराब स्वच्छता की स्थिति के परिणामस्वरूप होता है और संक्रमित मिट्टी के संपर्क से शरीर में प्रवेश करता है। पेट में कीड़ों की वजह से बच्चों में खून की कमी हो जाती है विशेषकर लड़कियों में यह समस्या और ज्यादा गंभीर हो जाती है।
अगले वक्त के रूप में चिकित्सक डॉ.अखिलेश कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की भारत के प्रत्येक बच्चे को कृमि मुक्त बनाने की एक पहल है। इसकी शुरुआत वर्ष 2015 में हुई थी। भारत सरकार द्वारा उपयोग की जाने वाली कृमिनाशक दवाओं के नाम अल्बेंडाज़ोल और मेबेंडाज़ोल हैं। जो आंतों के कीड़ों के लिए एक सुरक्षित उपचार हैं।
कृमिनाशक इलाज से बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है: एनीमिया को कम करता है और पोषण में सुधार करता है। ग्रोथ और वजन बढ़ता है। मानसिक और शारीरिक विकास में सुधार करता है।
इस अवसर पर प्रो.जीसी पंत, डॉ.आनंद प्रकाश, प्रो.प्रदीप चंद्र फार्मेसिस्ट गोविंद प्रसाद, सहायक रमेश कुमार एवं एनएसएस स्वयंसेवियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की।

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