नैनीताल :::- उत्तराखण्ड भाषा संस्थान देहरादून तथा हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग, कुमाऊँ विश्वविद्यालय के तत्वाधान में आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी “हिन्दी में विज्ञान लेखन तथा लोक विज्ञान” का आयोजन कुलपति प्रो.दीवान सिंह रावत के मार्गदर्शन में किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्ष प्रो.नीता बोरा शर्मा, जसविंदर कौर संयुक्त सचिव भाषा संस्थान नंदन सिंह बिष्ट, मुख्य वक्ता देवेंद्र मेवाड़ी, विषय प्रवर्तक डॉ. मोहित जोशी तथा द्वितीय सत्र के अध्यक्ष डॉ. बिहारी लाल जलंधरी, मुख्य वक्ता प्रो. डी. एस. पोखरिया, मुख्य वक्ता प्रो. दिवा भट्ट, संयोजक प्रो० निर्मला ढेला बोरा, संचालन डॉ० कपिल कुमार और डॉ. दीक्षा मेहरा ने किया ।
डॉ. मोहित जोशी ने कहा विज्ञान की उन्नति के लिए लोक भाषाओं पर काम करना महत्वपूर्ण है जिसके लिये कुशल शब्दावली की निर्माण की आज भी आवश्यकता है। प्रसिद्ध विज्ञान कथाकार देवेंद्र मेवाड़ी ने हिन्दी में विज्ञान लेखन की परंपरा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि लोग कहते हैं कि विज्ञान कठिन है तो उसे आम बोलचाल के साहित्य में बदल दिया जाय। मुख्य अतिथि जसविंदर कौर ने उत्तराखण्ड भाषा संस्थान की ओर से लोक बोलियों की वैज्ञानिक शब्दावली पर बल दिया। प्रो.डीएस पोखरिया ने विज्ञान और लोक विज्ञान के अंतः संबंधों पर प्रकाश डाला। प्रो. दिवा भट्ट ने लोक में निहित पर्यावरणीय विज्ञान के महत्व को उजागर किया। डॉ.बिहारी लाल जालंधरी ने उत्तराखंड की मातृभाषाओं के संरक्षण पर ज़ोर दिया।
इस अवसर पर हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग के प्रो.चन्द्रकला रावत, प्रो.शिरीष कुमार मौर्य, डॉ.शुभा मटियानी, डॉ.शशि पाण्डे, डॉ. मथुरा इमलाल, डॉ. कंचन आर्या, डॉ. दीक्षा मेहरा, प्रो. ज्योति जोशी, डॉ. हरिप्रिया पाठक, प्रो. बीना मथेला, डॉ.कल्पना शाह समेत अन्य लोग मौजूद रहें।