नैनीताल :::- विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्लूएचओ के 193 सदस्य देश तथा 2 संबद्ध सदस्य हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ की इकाई के रूप मे इसकी स्थापना 7 अप्रैल 1948 को की गयी थी। इसी लिए प्रत्येक वर्ष 7अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता हैं। 2024 के विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम ” मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार “ है।ग्लोबल हेल्थ तथा दुनिया भर में स्वस्थ रहने की क्रियाओं को बढ़ावा देने के लिए यह विशेष दिन है जिससे दुनिया के देशो को गंभीर बीमारियों से सुरक्षित रखा जा सके । 1950 में पहली बार 07 अप्रैल को यह दिवस मनाया गया। हर साल एक नई बीमारी सामने आती है जो लोगों में चिंता कराती है ।

इस दिन स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाना, लोगों को विभिन्न बीमारियों की रोकथाम के बारे में शिक्षित करना, राष्ट्रीय स्वास्थ्य अधिकारियों को अपने देशों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करना शामिल हैं। लोगों को अपने स्वास्थ्य और खान-पान पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने तथा सभी की स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए मंथन जरूरी है ।
विश्व स्वस्थ संगठन का मुख्यालय जेनेवा में है तथा ताइवान में बेहतर स्वस्थ सेवाए है तो न्यू जीलैंड में 83 प्रतिसत बेहतर स्वस्थ सेवाए सरकारी है । सिंगापुर में भी बेहतर स्वस्थ सेवाए है । डब्लूएचओ प्रतिवर्ष 7 बिलियन डॉलर स्वस्थ में खर्च करता है । भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली जटिल और बहुआयामी है, जहाँ सरकारी और निजी दोनों ही सुविधाएँ देश की 1.4 बिलियन से अधिक आबादी को चिकित्सा सेवाएँ प्रदान कर रही हैं।

सरकार ने ग्रामीण आबादी के लिये स्वास्थ्य सेवा में सुधार के लिये कई पहलों की शुरुआत की है, जैसे ‘आयुष्मान भारत’ योजना, जिसका उद्देश्य 500 मिलियन से अधिक लोगों को स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करना है। किंतु स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है , जिसमें वित्त की कमी स्वास्थ्य कर्मियों की कमी और अपर्याप्त आधारभूत संरचना शामिल हैं।
भारत में सर्जरी की लागत अमेरिका या पश्चिमी यूरोप की तुलना में लगभग दसवें भाग तक कम है।
वर्ष 2021 तक की स्थिति के अनुसार, भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र कुल 4.7 मिलियन लोगों को रोज़गार प्रदान करता है। इस क्षेत्र ने वर्ष 2017-22 के मध्य भारत में 2.7 मिलियन अतिरिक्त नौकरियाँ (प्रति वर्ष 500,000 से अधिक नई नौकरियाँ) सृजित हो पाई।
नेशनल हेल्थ प्रोफाइल’ के अनुसार, भारत में प्रति 1000 जनसंख्या पर केवल 0.9 बेड उपलब्ध हैं और इनमें से केवल 30प्रतिशत ही ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध हैं।
गैर-संचारी रोग: मधुमेह, कैंसर और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों की उच्च दर के साथ भारत में सभी मौतों में से 60प्रतिशत से अधिक के लिये गैर-संचारी रोग ज़िम्मेदार हैं।
इसके अलावा प्रति व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की संख्या सबसे कम है।
इंडियन जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ’ के अनुसार भारत को वर्ष 2030 तक 20 लाख चिकित्सकों की आवश्यकता होगी। वर्तमान में सरकारी अस्पतालों में 11000 से अधिक रोगियों पर एक चिकित्सक की सेवा उपलब्ध है ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन, संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष , विश्व जल सप्ताह, विश्व स्वास्थ्य सभा, स्वच्छ भारत, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल मिशन , सुनिधि शौचालय परियोजना। लगातार इस विषय पर कार्य कर रहे है


विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व की लगभग आधी स्वास्थ्य सुविधाओं में बुनियादी स्वच्छता सेवाओं का अभाव है, जिससे 3.85 बिलियन लोगों को संक्रमण का खतरा बढ़ गया है।


अभी तक केवल 51प्रतिशत स्वास्थ्य सुविधाओं ने बुनियादी स्वच्छता सेवाओं की आवश्यकताओं को पूरा किया।
उनमें से लगभग 68% लोगों के पास टॉयलेट में जल और साबुन से हाथ धोने की सुविधा उपलब्ध है और 65% के पास देखभाल केंद्रों पर ऐसी सुविधाएँ है।
जनसंख्या के लिए सुरक्षित जल और बुनियादी स्वच्छता एवं स्वच्छता सेवाओं के बिना अस्पताल तथा क्लीनिक गर्भवती माताओं, नवजात शिशुओं और बच्चों के लिये संभावित मृत्यु का कारण हैं।
प्रत्येक वर्ष नवजात शिशु रक्तपूतिता/घाव के सड़ने के कारण अपनी जान गंँवा देते हैं।
अस्वच्छ हाथ और पर्यावरण में रोग संचरण ने एंटीबायोटिक प्रतिरोध के उद्भव को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया हैं।
सबसे कम विकसित देशों में केवल 53प्रतिशत स्वास्थ्य संस्थानों के पास सुरक्षित जल आपूर्ति है।
पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशिया में सुरक्षित जल आपूर्ति का अनुपात 90प्रतिशत है, जिसमें अस्पताल स्वास्थ्य सुविधाओं में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।
लगभग 11प्रतिशत ग्रामीण और 3प्रतिशत शहरी स्वास्थ्य संस्थानों में जल की पहुँच नहीं है।

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