रानीखेत । राजनीतिक विश्लेषक डॉ.केतकी तारा कुमैय्यां ने पर्यावरण एवं वन मंत्री से आग्रह किया है की उत्तराखंड में पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन में कई सकारात्मक प्रशंसनीय प्रयास किए गए है जिसके दूरगामी परिणाम रहे है और उत्तराखंड ने भारत के मानचित्र में अपनी अलग पहचान बनाई है। किंतु अभी हाल ही की अल्मोड़ा के बिनसर में घटित वनाग्नि की वीभत्स घटना जिसमे वन विभाग के कार्मिकों की   वनागनी के कारण मृत्यु हुई है जिससे समस्त उत्तराखंडवासियों के हृदय को भेद दिया है। कहा कि क्षेत्र की संवेदनशीलता को देखते हुए और ऐसे किसी दुर्घटना की भविष्य में कोई पुनरावृत्ति न हो इसके लिए परंपरागत तरीकों को त्यागकर आधुनिक समाधानों की ओर रुख करना चाहिए । बताया कि पर्वतीय राज्य हिमाचल प्रदेश ने ड्रोंस को अपनाया है जो फायरबॉल एक्सटिंग्विशर (लोकप्रिय एलाइड फायरबॉल) का प्रयोग कर रहे है । इससे न केवल न्यूनतम जनहानि होगी बल्कि सीमित संसाधनों के कारण आपातकालीन स्थितियों से आसानी से निपटा जा सकेगा।
     वनाग्नि जैसी जटिल प्राकृतिक आपदाओं में उत्तराखंड की बहुमूल्य प्राकृतिक संपदा का बेहिसाब ह्रास हो चुका है जो कि एक अपूर्णीय क्षति है ।

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