पिथौरागढ़ :::- संत नारायण स्वामी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय नारायण नगर में मंगलवार को गंगा उत्सव बड़े हर्षोल्लास एवं श्रद्धा के साथ मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य प्रो. प्रेमलता कुमारी ने की तथा संचालन का कार्य नोडल अधिकारी डॉ. दिनेश कोहली के निर्देशन में सम्पन्न हुआ। विद्यार्थियों को गंगा की पवित्रता, उसके संरक्षण एवं पर्यावरणीय संतुलन के महत्व पर प्रेरक विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न सूचना, शिक्षा एवं संचार  गतिविधियों का आयोजन किया गया, जिनमें छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। 
इस दौरान वाद विवाद प्रतियोगिता, पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता
, स्लोगन लेखन प्रतियोगिता, निबंध लेखन प्रतियोगिता  आयोजित कि गई।

छात्रों ने गंगा संरक्षण, स्वच्छता एवं जल-जागरूकता पर आधारित सुंदर पोस्टर, प्रेरणादायक नारे और सारगर्भित निबंध प्रस्तुत किए। प्रतिभागियों ने गंगा को केवल एक नदी नहीं, बल्कि आस्था, संस्कृति और जीवन की धारा के रूप में वर्णित किया।
डॉ. दिनेश कोहली ने  कहा कि गंगा केवल एक नदी नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति और अस्तित्व की जीवनरेखा है। इसका संरक्षण हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। कार्यक्रम में विजयी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए।
 

प्राचार्य प्रो. प्रेमलता कुमारी ने सभी विद्यार्थियों, प्राध्यापकों और आयोजकों की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन विद्यार्थियों में पर्यावरण एवं सांस्कृतिक चेतना को जागृत करने में अत्यंत सहायक सिद्ध होते हैं।

इस अवसर पर  डॉ. नरेंद्र सिंह धरियाल,डॉ.सुधीर कुमार तिवारी, डॉ. रश्मि टम्टा,डॉ. अनुलहुदा, डॉ. विवेक आर्या,डॉ. सारिका वर्मा, डॉ. मनोज कुमार आर्या, डॉ. शुभम सिंह, डॉ. कुंदन प्रसाद,डॉ. टीका सिंह, डॉ. मनीष नेगी समेत अन्य लोग मौजूद रहें।

One thought on “पिथौरागढ़ : संत नारायण स्वामी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में गंगा उत्सव का आयोजन”
  1. आओगे जब मेरे कमरे में कभी तुम,
    किताबों की सिवा कुछ न पाओगे तुम,
    खोजोगे इधर-उधर जब हमें तुम,
    यादों के सिवा कुछ ना पायोगे तुम😢,
    पुराने दिन पुरानी बातें पुराने दोस्त सब तो बीत गया हैइस जहां में और सिर्फ यादों की सिवा कुछ भी तो नहीं। वह कॉलेज के दिन वह कॉलेज की बातें हैं वह कॉलेज के साथ चलने, साथ बोले,साथ चहल कदमी करने, सब तो बीत गया है। गुजरता हूं जब तेरी गलीयारे से मैं, आवाज आज भी कोई लगता है मुझे पीछे से, मैं देखता हूं तनिक मुड़ के पीछे तब जेहन में ख्याल आता है, हकीकत नहीं यह तो एक ख्वाब ही है।💐

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