ओखलकांडा/ नैनीताल:::- प्रदेश की पंचायतें इस समय गहरे संकट में हैं वहीं ग्राम प्रधानों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है, लेकिन सरकार द्वारा न तो चुनाव की तिथि घोषित की गई है और न ही पंचायत संचालन की कोई ठोस वैकल्पिक व्यवस्था बनाई गई है। परिणामस्वरूप, गांवों में विकास कार्य और जनकल्याण योजनाएं पूरी तरह ठप हो गई हैं।
केवल इतना ही नहीं पंचायत चुनाव की तैयारी कर रहे हज़ारों युवाओं की उम्मीदों को भी बड़ा झटका लगा है। पंचायतों के निष्क्रिय होने से उनमें नाराज़गी बढ़ती जा रही है। वे इसे लोकतंत्र और युवाओं के अधिकारों के साथ अन्याय मान रहे हैं। 73वां संविधान संशोधन लाकर पंचायती राज अधिनियम लागू किया गया था, ताकि ग्राम पंचायतें स्वतंत्र, सशक्त और जवाबदेह बन सकें। इस दौरान स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश चन्द्र बौद्ध ने कहा की किसी राजनीतिक पक्ष या विपक्ष की बात नहीं है परंतु पंचायतों को मुखिया विहीन कर देना, सरकार की प्रशासनिक विफलता है। पंचायत संरचना में ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य जिला पंचायत सदस्य, ब्लाक प्रमुख से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष तक, सभी की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। यदि यह ढांचा ही निष्क्रिय हो जाए तो फिर गांव, जिला और प्रदेश का भविष्य अधर में लटक जाता है।
इस समय ज़रूरी है कि सरकार तत्काल पंचायत चुनाव की तिथि घोषित करे और अंतरिम समाधान सुनिश्चित करे, ताकि गांवों में लोकतांत्रिक कार्य फिर से शुरू हो सकें।
Haldwani
Nainital
National
News
Politics/राजनीती
Uncategorized
Uttarakhand
World News
इंडिया india
प्रशासन
ओखलकांडा: पंचायतें मुखिया विहीन, युवाओं में भारी आक्रोश- मुकेश चन्द्र बौद्ध
