नैनीताल:::-  कुमाऊँ विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान एवं वन विज्ञान विभाग द्वारा नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ), नई दिल्ली के वित्तीय सहयोग से चल रहे शोध परियोजना “Water Relation, Drought Adaptations and Phenological Variation Change in Quercus floribunda Forest in the Western Himalayan Region of Uttarakhand” के अंतर्गत दो दिवसीय कार्यशाला क्लाइमेट चेंज इन द हिमालयन रीजन: इम्पैक्ट एड Adaptation का आयोजन किया गया।

कार्यशाला का शुभारंभ मुख्य अतिथि द्वारा दीप प्रज्वलन एवं कुलगीत के साथ किया गया। इस अवसर पर प्रो. रजनीश पांडे (निदेशक, डीएसबी परिसर), प्रो. चित्रा पांडे (डीन), प्रो. जीत राम, प्रो. एल.एस. लधियाल (विभागाध्यक्ष), प्रो. ललित तिवारी तथा प्रो. आशीष तिवारी उपस्थित रहे।

कार्यशाला में वक्ताओं ने जलवायु परिवर्तन के बहुआयामी प्रभावों पर विचार व्यक्त किए:

प्रो. रजनीश पांडे ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से स्थानीय अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है।

प्रो. चित्रा पांडे ने इसे सभी जीवधारियों के लिए एक गंभीर चुनौती बताया।

प्रो. जीत राम ने मानवीय हस्तक्षेप को इसका मूल कारण बताया।

प्रो. लधियाल ने कृषि पर इसके नकारात्मक प्रभाव की चर्चा की।

प्रो. आर.के. जोशी ने कहा कि ग्लेशियरों पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ा है।

मुख्य वक्ता डॉ. एस.एस. सामंत ने एल्टीट्यूडिनल स्पीशीज शिफ्ट, पोलिनेशन में गिरावट, आवास एवं जैव विविधता का नुकसान, इनवेसिव स्पीशीज की वृद्धि और सेब उत्पादन में कमी जैसे प्रभावों का उल्लेख किया एवं क्लाइमेट मिटिगेशन उपाय भी सुझाए।

प्रो. ललित तिवारी ने कहा कि टिंबरलाइन में लगभग 10% की कमी आई है।

प्रो. ज्योति जोशी ने पलायन और सांस्कृतिक हानि की चर्चा की।

प्रो. संजय घिल्डियाल ने कहा कि छोटी-छोटी रचनात्मक पहल से बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है।

डॉ. हरिप्रिया पाठक ने इसे मानव के कर्मों का परिणाम बताया।

कुंदन बिष्ट (ईडी, CHIYA) ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से कृषि के साथ-साथ बागवानी भी बुरी तरह प्रभावित हो रही है।


कार्यशाला के अंत में प्रो. ललित तिवारी, डॉ. नवीन पांडे, डॉ. मंडोली, कुंदन, सुदर्शन, हीरा सिंह साही आदि ने गिनको बिलोबा, हाइड्रेंजिया तथा अरंडी के पौधों का रोपण कर हरित भविष्य की ओर एक कदम बढ़ाया।

समापन सत्र में डॉ. एस.एस. सामंत द्वारा प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र वितरित किए गए।
डॉ. इकरमजीत सिंह ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।

कार्यशाला में ग्राफिक एरा, एम.बी.पी.जी. कॉलेज हल्द्वानी, महिला कॉलेज हल्द्वानी, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय, नानकमत्ता आदि संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

इस अवसर पर डॉ. श्रुति साह, डॉ. नीता आर्य, डॉ. कृष्ण कुमार, डॉ. कुबेर गिनती, डॉ. प्रियंका भट्ट, डॉ. सरस्वती नंदन ओझा, डॉ. अंबिका अग्निहोत्री, डॉ. नेहा जोशी, डॉ. प्रभा ढोंडियाल सहित जग जीवन, विशाल, राजेश, लता आदि प्रतिभागी उपस्थित रहे।

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