नैनीताल ::- श्री राम सेवक सभा में शनिवार को लोक पारंपरिक कलाकारों द्वारा मां नंदा सुनंदा की मूर्ति निर्माण के लिए बास को  साफ करने का काम प्रारंभ हुआ जिसमें हरे बास की खपचिया बनाई जा रही  है इस कार्य में कलाकारों ने बताया की बास की दो सेट की खपचिया बनाई जाति है जिससे केले के तने के साथ  मां की मूर्ति का ढांचा तैयार किया जाता है । बास जिसे बंबूसा कहा जाता है  इसके 24 वंश भारत में मिलते है । यह तेजी से बड़ने वाला पौधा है । इसका सांस्कृतिक एवं आर्थिक महत्व है । विश्व में 12 अरब अमेरिकी डॉलर का कारोबार बास से किया जाता है यह पूअर में टिंबर के नाम से प्रसिद्ध है । बास में सामूहिकता, लचीलापन,पुनर जनन का स्थाई रूपक है। यह सौभाग्य का प्रतीक है जापान में इसे बन सब्जियों का राजा कहा जाता है । बास सादगी तथा निरंतर विकास का प्रतीक है । लगभग 5000 वर्षों से प्रयुक्त होता है मानवीय सेवा में । हिंदू धर्म में इसे पवित्र माना गया है । शादी ,मुंडन में इसकी  पूजा होती है।इसको जलाना वर्जित माना गया है  जल में घुलन शील है । बरसो की परंपरा में बास मां नंदा सुनंदा की मूर्ति निर्माण में प्रयुक्त होता आ रहा है ।  हीरा सिंह, हरीश पंत ,अमर साह , गोविंद , गोधन बताते है की क्रम से 25, 40 ,25 ,  30 ,35   वर्ष से  बास लाने तथा छेलना का काम करते है जिसके लचीले होने पर नाप अनुसार ख पचिया बनाई जाती है  जो मूर्ति का आधार है  यही परंपरा की शुरुआत करते है   और प्रकृति  प्रेम के प्रति हमे सचेत करते है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed