नैनीताल ::- कुमाऊं विश्वविद्यालय के महिला अध्ययन केंद्र   द्वारा अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के अवसर पर ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया। इस दौरान संगोष्ठी की मुख्य संयोजक महिला अध्ययन केंद्र की निदेशक प्रो. नीता बोरा शर्मा ने ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन क्यों कर रहे हैं ,उसके मंतव्य पर प्रकाश डाला.  प्रो. ललित तिवारी ने अत्यंत सारगर्भित उद्बोधन में पर्यावरण दिवस की महत्व इसका उद्देश्य और पर्यावरण दिवस पर क्या संकल्प होना चाहिए. बताया कि यदि हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ करेंगे तो किस प्रकार से हमारा स्वास्थ्य पर भी प्रभावित हो सकता है और साथ ही विकास के लिए आगे बढ़ते हुए अपने पेड़ पौधों को भी संरक्षण दिया जाना चाहिए उन्होंने विश्व पर्यावरण दिवस 1972 से क्यों मनाया जाता है इस पर भी बताते हुए पर्यावरण जागरूकता का संदेश दिया।

इस दौरान कार्यक्रम में डॉ.महेंद्र राणा ने बताया कि  जिस प्रकार की संस्कृति में जीवंत रहते हैं वह संस्कृति  स्वयं पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करती है, उन्होंने उत्तराखंड के अंतर्गत ही विभिन्न त्योहारों का उल्लेख करते बताया कि   हम इन त्योहारों में वृक्षारोपण और पेड़ पौधों को संरक्षण देते हैं।

पूर्व उच्च शिक्षा निदेशक प्रो. सुठा ने पर्यावरण संवेदनशीलता के प्रति सबको संवेदनशील रहना चाहिए बताते हुए कहा कि जंगल की आग से प्रकृति को नुकसान होता है और इसके बचाव के लिए प्रयास कर सकते हैं।   अध्यक्ष सचिव महिला विधि भारती परिषद नई दिल्ली संतोष खन्ना ने अपने विचारों से कई महत्वपूर्ण समस्याओं और विचार रखें। उन्होंने बताया कि एक सड़क पर जब हजारों गाड़ियां चलती हैं और जाम लगता है तो ऐसी स्थिति में  पर्यावरण प्रदूषण होता है जो एक चिंता का विषय का है। 

वही तारा बोरा ने कहा कि किन पेड़ों को लगाना चाहिए और किस ऋतु में लगाना चाहिए ताकि पेड़ लगाए ही नहीं वह स्वयं पल्लवित पुष्पित हो।

इस दौरान कार्यक्रम में डॉ. जान मोहम्मद , डॉ.पंकज सिंह, डॉ. सूची बिष्ट , प्रो. कल्पना अग्रहरि, डॉ. लज्जा भट्ट,डॉ. नीलू लुधियाल, डॉ.रुचि मित्तल, डॉ.भूमिका,डॉ.मोहित रौतेला,प्रो.गीता तिवारी ,डॉ.लता जोशी  समेत अन्य लोग मौजूद रहें।

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