नैनीताल:::-  कुमाऊँ विश्वविद्यालय अलुमनी सेल एवं विज़िटिंग प्रोफेसर्स निदेशालय के संयुक्त तत्वावधान में ‘पर्यावरण, वृक्ष का आत्मकथ्य और मेरा प्रलाप’ विषयक ऑनलाइन वेबिनार आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रख्यात कवि डॉ. तिलक राज जोशी रहे, जिन्होंने पर्यावरणीय संतुलन, प्रकृति के महत्व और मानव गतिविधियों के पारिस्थितिकीय प्रभावों पर विस्तार से विचार रखे।

कार्यक्रम का शुभारंभ अलुमनी सेल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. बीएस कालाकोटी द्वारा स्वागत भाषण से हुआ। संचालन प्रो. ललित तिवारी, निदेशक विज़िटिंग प्रोफेसर्स निदेशालय ने किया। उन्होंने मुख्य वक्ता का परिचय कराते हुए वेबिनार की रूपरेखा प्रस्तुत की।

अपने वक्तव्य में डॉ. जोशी ने कहा कि प्रकृति एक संतुलित प्रणाली है जो आदिकाल से अपनी नियमावली के अनुसार संचालित हो रही है। लेकिन वनों की अंधाधुंध कटाई, जानवरों के आवासों का विनाश और मानवजनित गतिविधियाँ इस संतुलन को खतरे में डाल रही हैं। उन्होंने जलवायु परिवर्तन, वैश्विक तापमान वृद्धि, असामान्य मौसम और रेडियोथर्मल प्रदूषण से उत्पन्न स्वास्थ्य समस्याओं पर गंभीर चिंता व्यक्त की।

सत्र के दौरान डॉ. जोशी ने अपनी कविताओं के माध्यम से प्रकृति का मर्म भी प्रस्तुत किया। उनकी रचनाओं में वृक्ष, पर्वत, गुलाब, नागफणी और अमरबेल जैसे प्राकृतिक प्रतीक गहन संदेश देते हुए दिखाई दिए। उन्होंने कहा प्रकृति को बचाना मानव के अस्तित्व के लिए अनिवार्य है। शब्द केवल बोले नहीं जाते, वे झकझोरते भी हैं।

कार्यक्रम में प्रो. एस.डी. तिवारी ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर डॉ. एम.एस. बिष्ट, डॉ. सर्वेश सुयाल, डॉ. सतीश गरकोटी, डॉ. रीमा मिश्रा, डॉ. दीपक्षी जोशी, डॉ. श्वेता पांडे, स्वाति जोशी कांडपाल, डॉ. मनीष बेलवाल, डॉ. रिजवाना, डॉ. कृष्ण टम्टा, वत्सला  समेत प्रो. ललित तिवारी ने मुख्य वक्ता और सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में प्रो. अनिल जोशी, कवि मोहन जोशी, प्रो. श्रीश मौर्य, प्रो. गीता तिवारी, डॉ. युगल जोशी, डॉ. जी.सी.एस. नेगी, डॉ. संतोष उपाध्याय, डॉ. पैनी जोशी, डॉ. नंदन मेहरा, डॉ. नवीन पांडे, डॉ. अल्बा, ज्योति कांडपाल, डॉ. हर्षित पंत, वंदना शर्मा, डॉ. मथुराल इमलाल, निक्की नौटियाल, डॉ. पुष्पा रुवाली, दिनेश पांडे, कृपाल सिंह रहें।

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