नैनीताल :::- भारतीय रसायन विज्ञान के जनक के तौर पर जाने जाने वाले महान वैज्ञानिक सर प्रुफल्ल चंद्र रे की 163वीं जयंती को डीएसबी परिसर में धूमधाम से मनाया गया। रसायन विज्ञान विभाग में भाषण और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। भाषण प्रतियोगिता में प्रथम दीक्षा पांडे , द्वितीय भावना त्रिपाठी, तृतीय स्थान पर मोहित पांडे रहे. वहीं प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में प्रथम प्रिय, द्वितीय नमृता मौलिखी,तृतीय सूरज वर्मा रहें। 
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. चित्रा पांडे ने कहा कि कुलपति महोदय की प्रेरणा से रसायन विभाग में लगातार नए-नए कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं. महान वैज्ञानिक प्रफुल्ल चंद्र रे की जयंती पर कार्यक्रम करने का विचार भी उन्हीं की प्रेरणा से साकार हो पाया. उन्होंने कहा कि भारत के वैज्ञानिकों के योगदान के बारे में जानने और समझने के लिए इससे बेहतर मौका नहीं हो सकता.


प्रफुल्ल चंद्र रे के बारे में
1861 में पैदा हुए प्रफुल्ल चंद्र रे प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक, शिक्षक और पहले आधुनिक भारतीय रासायनिक शोधकर्ताओं में से एक थे. एडिनबर्ग विश्वविद्यालय, स्कॉटलैंड में प्रशिक्षण लेने के बाद, उन्होंने कई साल तक कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज और फिर कलकत्ता विश्वविद्यालय में काम किया. साल 1895 में स्थिर यौगिक मर्क्यूरस नाइट्राइट की खोज की. ब्रिटिश सरकार ने 1919 में उन्हें नाइटहुड की उपाधि से सम्मानित किया. 1920 में उन्हें भारतीय विज्ञान कांग्रेस का जनरल प्रेसिडेंट चुना गया. प्रफुल्ल रे पूरे जीवन समाज की कुरीतियों से लड़ते रहे, वो जातिवाद के सख्त खिलाफ रहे. साल 1944 में उनका निधन हो गया. उनकी जयंती के उपलक्ष्य में 2 अगस्त 1961 को इंडिया पोस्ट व् उन पर एक डाक टिकट भी जारी किया गया था.

इस दौरान प्रो. गीता तिवारी, डॉ. सुहेल जावेद, डॉ. महेश आर्या, डॉ. मनोज धौनी, डॉ. ललित मोहन, डॉ. गिरीश खर्कवाल, डॉ. दीपशिखा जोशी, आंचल अनेजा, डॉ. आकांक्षा रानी उपस्थित रहे.

हिंदी विभाग की प्रो. चंद्रकला रावत, अंग्रेजी विभाग की डॉ. दीपिका पंत और रसायन विज्ञान के प्रो. शहराज अली समेत अन्य लोग मौजूद रहें।

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