नैनीताल:::- कुमाऊं विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान और वन विज्ञान विभाग में नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ), नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित प्रोजेक्ट “Water Relation, Drought Adaptation and Phenological Variation Change in Quercus Floribunda Forests in the Western Himalayan Region of Uttarakhand” के अंतर्गत दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ रविवार को हुआ।
कार्यशाला का विषय “क्लाइमेट चेंज इन द हिमालयन रिजन: इंपैक्ट एंड अडाप्टेशन” है। मुख्य अतिथि जेएनयू, नई दिल्ली के प्रो. सतीश गरकोटी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन आज आम जीवन और वनस्पति दोनों को गहराई से प्रभावित कर रहा है। उन्होंने मिटिगेशन और पर्यावरणीय संरक्षण में हर व्यक्ति की भूमिका पर बल दिया।
प्रोजेक्ट के प्रमुख अन्वेषक (PI) प्रो. आशीष तिवारी ने क्यूरकस फ्लोरीबुंडा की रीजनरेशन पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को प्रस्तुत किया, जबकि सह-अन्वेषक (Co-PI) प्रो. ललित तिवारी ने हिमालय को “विश्व का तीसरा जलध्रुव” बताते हुए बताया कि औसत तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो चुकी है और CO₂ स्तर 424 ppm पार कर गया है। भारत का योगदान वैश्विक जलवायु परिवर्तन में 2.23% है।
कार्यशाला में डॉ. इकरमजीत सिंह ने प्रोजेक्ट की रूपरेखा साझा की। दूसरे सत्र में प्रतिभागियों ने ब्रेनस्टॉर्मिंग के माध्यम से पर्यावरणीय संरक्षण के उपाय सुझाए, जिसमें विकास कार्यों के कारण कटने वाले पेड़ों की भरपाई हेतु वृक्षारोपण की आवश्यकता पर बल दिया गया।
तीसरे सत्र में तेलोंज, पदम और किमो क्षेत्रों में फील्ड अध्ययन के तहत पौधारोपण किया गया। डॉ. नवीन पांडे ने नैनीताल क्षेत्र की विशिष्ट प्रजातियों की जानकारी दी। डॉ. श्रुति साह ने स्थानीय स्तर पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के उदाहरण प्रस्तुत किए।
इस अवसर पर डॉ. अमित मित्तल, डॉ. बीना तिवारी, डॉ. कृष्णा, डॉ. डसीला, डॉ. प्रीति पंत, डॉ. नीता, डॉ. कुबेर गिनती, डॉ. प्रियंका भट्ट, डॉ. शर्मा, डॉ. अंबिका अग्निहोत्री, डॉ. दीप्ति नेगी, डॉ. नेहा जोशी समेत अन्य लोग मौजूद रहें।
