नैनीताल :::-कुमाऊं विश्वविद्यालय डीएसबी परिसर के भूगोल विज्ञान विभाग द्वारा तीन दिवसीय हिमालय क्लाइमेट चेंज एवं प्रभाव पर आयोजित की गई अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी सोमवार को संपन्न हुई। अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी जिसका शीर्षक “कटिंग एज सॉल्यूशंस इन क्लाइमेट चेंज इन हिमालय – एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग एंड ह्यूमैनिटीज (CSATEH-2024)” का सम्पन्न हुआ।
इस दौरान राज्यपाल एवं ब्रिटिश फेलो भौतिकी विभाग प्रो. रमेश चंद्र द्वारा क्लाइमेट चेंज से जोड़ते हुए वैश्विक तपन की समस्या के अध्ययन में अन्य विषयों के अध्ययन और शोध को समन्वित करने पर जोर दिया तथा अंतराष्ट्रीय सम्मलेन में शोध से प्राप्त परिणामों को सरकारी नीतियों में शामिल कर समाज के हितकारी योजना बनाने पर बल दिया। सेमिनार के अंतर्गत जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव का हिमालय के कृषि, ग्लेशियर, जल संसाधन एवं आपदाओं पर होने वालें विशेष प्रभावों पर चर्चा की गई। 825 शोध पत्रों का प्रस्तुतीकरण ऑनलाइन तथा ऑफलाइन माध्यम से किया गया। जिसमे भारत सहित इंडोनेशिया, नाइजीरिया , नेपाल , फिजी, टर्की , सीरिया , मिश्र, अल्जीरिया , श्रीलंका , बांग्लादेश , क्राकोव , थाईलैंड, यूनाइटेड किंगडम आदि द्वारा किया गया।
यूनिवर्सिटी ऑफ़ बर्मिंघम प्रो.सना इ मुस्तफा ने जलवायु परिवर्तन का मुख्य प्रभाव कृषि आधारित फसलों पर नकारात्मक रूप से पड़ रहा है जो अब पोषक तत्वों की कमी के रूप में सामने आ रहा है। जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालय की हिमनदियाँ तेजी से पिघल रही हैं, जिससे नदियों में जल स्तर बढ़ रहा है और समुद्र तल में वृद्धि हो रही है। हिमालयी क्षेत्रों में मौसम का मिजाज अस्थिर हो गया है, जिससे अनियमित वर्षा, अत्यधिक ठंड या गर्मी और असामान्य हिमपात की घटनाएँ बढ़ रही हैं। हिमालयी क्षेत्रों में वन संरक्षण और पुनर्वनीकरण को बढ़ावा देकर स्थानीय कृषि को वनो से जोड़कर आय स्रोत और स्थानीयता को बचाया जा सकता है और इससे कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सकता है और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को रोका जा सकता है।
प्रो.इब्राहिम ऑर्टस ने हिमनदियों के पिघलने और बढ़ती वर्षा के कारण भूस्खलन की घटनाओं में वृद्धि हो रही है, जिससे स्थानीय निवासियों और बुनियादी ढांचे को गंभीर नुकसान हो रहा है तथा स्थायी कृषि और जल प्रबंधन, अनुकूल कृषि तकनीकों और जल प्रबंधन के उपायों को अपनाकर, स्थानीय समुदायों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाया जा सकता है।
प्रो. सुरेश अहलूवालिया द्वारा बताया गया जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालय की हिमनदियाँ तेजी से पिघल रही हैं, जिससे नदियों में जल स्तर बढ़ रहा है और समुद्र तल में वृद्धि हो रही है। इससे कुछ ही वर्षों में भारत और श्रीलंका के तट पूरी तरह से जलमग्न हो जायेंगे यह एक वैश्विक चिंता का विषय है।
प्रो. हयाम शिकोकू ने बताया क्लाइमेट चेंज के कारण उनके देश में मरुस्थलीकरण की दर दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिससे कृषि एवं जल का संकट बढ़ने लगा है और यह भारत के राजस्थान और अन्य उपजाऊ स्थलों में भी यह देखने को मिल रहा है।
ऑर्गॅनिशिंग सेक्रेटरी डॉ.पीसी चन्याल ने अपने शोध में पाया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालय की स्थानीय वनस्पतियों और जीव-जन्तुओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। कई पादप और जीव प्रजातियों की जीवन शैली और आवास में परिवर्तन देखा गया है तथा जल संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है, जिससे सिंचाई, पेयजल और जलविद्युत उत्पादन में कमी आ सकती है। हिमालय में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए स्थानीय समुदायों की भागीदारी और उनकी पारंपरिक ज्ञान को महत्व देना चाहिए। यह स्थानीय जीवकोपार्जन बढ़ने के साथ साथ जलवायु परिवर्तन से सामंजस्य बनाने में सहयोग करेगा।
चीफ ऑर्गॅनिशिंग सेक्रेटरी डॉ वाजिद हसन ने कहा हिमालयी क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर अनुसंधान और जागरूकता कार्यक्रमों को बढ़ावा देना आवश्यक है ताकि लोगों को जलवायु परिवर्तन के खतरों के प्रति सचेत किया जा सके।
प्रो. सीपी सिंह ने उत्तराखंड में भूस्खलन-प्रवण क्षेत्रों में स्थायी पुनर्निर्माण और भूस्खलन रोधी संरचनाओं का विकास किया जाना चाहिए तथा पुराने परंपरागत मोठे अनाजों के बीजों का संवर्धन एवं विकास पर पुनः कार्य करना शोध कर्ताओं द्वारा अतयंत आवश्यक बताया।
अवार्ड
– बेस्ट रिसर्च पेपर : एमडी प्रतिभा आईसीएचएचआर, बेंगलुरु, सर्वश्रेष्ठ मौखिक प्रस्तुति।
– बेस्ट क्लाइमेट चेंज पेपर : सौरभ चमोली, डीएसबी परिसर नैनीताल।
– वेद प्रकाश, सर्वश्रेष्ठ मौखिक प्रस्तुति।
– देवी वरप्रसाद रेड्डी, वैज्ञानिक बागवानी विस्तार, केवीके – वीआर गुडेम, सर्वश्रेष्ठ मौखिक प्रस्तुति।
– संगीता दास, आईएआरआई, दिल्ली , सर्वश्रेष्ठ मौखिक प्रस्तुति।
– उदय राय गौरव सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी मेरठ सर्वश्रेष्ठ पोस्टर प्रस्तुति।
– नगमा जंतु विज्ञान डीएसबी परिसर नैनीताल फरेंसिक एंड क्लाइमेट चेंज।
– आयुषी एमिटी यूनिवर्सिटी कृषि शोध में।
– यंग साइंटिस्ट अवार्ड डॉ.सुरेश श्रीलंका।
– बेस्ट पोस्टर कलिंगा यूनिवर्सिटी रायपुर।
– एमिनेंट साइंटिस्ट डॉ.कुलदीप कीट और जलवायु परिवर्तन वाराणसी।
– लाइफ टाइम अचीवमेंट प्रो. प्रीती श्री कम्युनिटी साइंस बिहार।
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