नैनीताल :::- भाद्रपद मास की पूर्णिमा से आश्विन शुक्ल पक्ष की अमावस्या तक की अवधि को पितृ पक्ष कहा जाता है। पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिये पिंडदान व श्राद्ध किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दौरान किए गए पितरों के निमित्त तर्पण से पितृ देव संतुष्ट होते हैं और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। श्राद्ध एक कर्म है जो पितरों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता के साथ उन्हें याद करने के लिए किया जाता है। मान्यता है कि जिन पूर्वजों के कारण हम आज अस्तित्व में हैं, जिनसे गुण हमें विरासत में मिलें हैं, और ये न चुकाये जा सकने वाला ऋण हैं तथा हमारे पूर्वज पूजनीय हैं। भगवद गीता के अनुसार पितर पूजने वाले पितरों को, देेव पूजने वाले देवताओं को और परमात्मा को पूजने वाले परमात्मा को प्राप्त होते हैं। अतः देव , ऋषि, और पितरों का पूजन करना बताया गया है । पितरों को पूजने का पक्ष ही श्राद्ध पक्ष है जिसमें विभिन्न प्रकार की बनस्पतिया प्रयुक्त की जाती है।श्राद्ध कर्म जातक की तिथि के दिन किया जाता है इसमें खीर, पुरी, सब्जी के साथ मीठी चीज बनाई जाती है, जो अपने पूर्वज , ब्राह्मण और परिजनों को खिलाया जाता है, लेकिन इसके पहले पूर्वजों को भोग लगाने के लिए इसके चार भाग निकल जाते हैं, जिसमें कौआ, गाय, स्वान और कन्या का भाग शामिल रहता है श्राद्ध में , दाल, चावल या आटे आदि का दान किया जाता है। जिससे माना जाता है की वंश वृद्धि में किसी भी प्रकार की रुकावट ना हो ।श्राद्ध पक्ष में पांच प्रकार के पौधे लगाना श्रेष्ठ माना गया है इनमें तुलसी ओसिमम सैंक्टम कुल लेमियसिय जिसकी लोग पूजा करते हैं । मान्यता है मुख में तुलसी दल रखने से
स्वर्ग की प्राप्ति होती है। इसलिए पितृ पक्ष में तुलसी का पौधा लगाने तथा जल देने से पितर प्रसन्न होते हैं।
पीपल फाइकस रिलीजियोसा कुल मोरसिया में देवताओं का वास होता है अतः यह पूजनीय है। पितृ पक्ष के दौरान पवित्र स्थान पर पीपल का पौधा लगा दिया जाए तो अधूरे पड़े कार्य पूरे होने लगते हैं। नित्य रूप से जल चढ़ाने और दीपक जलाने से पितरों की कृपा होती है।
बरगद फाइकस बेंगलेंसिस कुल मोरासिया ज्यादा आयु तक चलने वाला वृक्ष है। यह वृक्ष आयु प्रदान करने वाला होता है। पौधे को लगाकर पितरों की मुक्ति के लिए प्रार्थना तथा आशीर्वाद मांगा जाता है
बेलपत्र एजल मार्मेलिस कुल रूटेसिया बेल भगवान शिव का प्रिय माना जाता है। ऐसे में यदि पितृ पक्ष के दौरान पौधा लगाने से शिवजी प्रसन्न होते हैं और उनके आर्शीवाद से जीवन में सभी कष्ट दूर होते हैं।
शमी प्रोसोपिस सिनेरेरिया कुल फेबेसी पौधे को शनि देव का पौधा माना जाता है। इस पौधे को जहां भी लगाया जाता वहां से सारी नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है। इसलिए पितृ पक्ष के दौरान शमी का पौधा लगाने से पितर प्रसन्न होते हैं। श्राद्ध में प्रयक्त होने वाले पौधे कुशा या कुश जिससे डर्मोस्टाची बाई पिन्नता कुल पुयासी ,तिमिल फाइकस बिपिन्नता कुल मोरासिए तिल सेसमम इंडिकम कुल पेडलेसिए तथा चावल ओरिजा सतिवा कुल पुआसी है ।तिथि का श्राद्ध उपलब्ध न होने पर पिता का श्राद्ध अष्टमी को तथा माता का श्राद्ध नवमी को किया जाता है।श्राद्ध पक्ष के दिन पितरों को समर्पित है उन्हे प्रणाम है ।
प्रो ललित तिवारी
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