नैनीताल :::- गंगा नदी को शास्त्रों में बहुत ही पवित्र और पुण्यकारी कहा गया है जिसमें स्नान मात्र से इंसान के सारे पाप धुल जाते हैं। हर वर्ष कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि को गंगा स्नान महत्वपूर्ण माना गया है । कार्तिक पूर्णिमा को देवताओं की दीपावली के रूप में देव दीपावली कहा जाता है । इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दीपदान के साथ हवन, दान, जप, तप आदि की परंपरा है । आज ही के दिन भगवान शिव ने देवताओं की प्रार्थना सुनकर त्रिपुरासुर नमक दैत्य के अत्याचार को समाप्त किया था, जिसकी खुशी में देवताओं ने दीप जलाकर उत्सव मनाया था, इसलिए इसे
देव दीपावली कहा जाता है ।कार्तिक पूर्णिमा के दिन घर के द्वार के सामने स्वास्तिक बनाकर विष्णु भगवान और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है जिससे घर में माता लक्ष्‍मी का आगमन होता है। इस दिन चंद्रोदय होने पर शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसुईया और क्षमा इन छः कृतिकाओं का पूजन का विधान भी है।
आज के दिन काशी में घाटों को दीये से सजाया जाता है और भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। पूर्णिमा तिथि में सूर्योदय के समय स्नान-दान का विशेष महत्त्व होता है । माना जाता है कि पूर्णिमा के दिन श्रीहरि विष्णु स्वयं गंगाजल में निवास करते हैं। तथा कार्तिक पूर्णिमा पर किया दान-दक्षिणा का फल कई गुना होकर वापस मिलता है। पूर्णिमा के दिन स्नान के बाद तिल, गुड़, कपास, घी, फल, अन्न, कंबल, वस्त्र आदि का दान किया जाता है । साथ ही किसी जरूरतमंद को भोजन कराना उपयुक्त माना गया है । गंगा सहित अन्य नदियों को साफ एवम संरक्षित रखे ये शहर भी इन पर्वों से मिलती है। शास्त्रों में कहा गया की पवित्र नदियों का ध्यान करते हुए स्नान और गायत्री मंत्र का जाप करें। कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही गुरुनानक का प्रकाश उत्सव गुरु पूरव है।

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