नैनीताल :::- प्रो. उदय  मैत्रा  का व्याख्यान  केमिस्ट्री इज् फन  विषय पर दिया । उन्होंने बताया कि रसायन विज्ञान को सिर्फ एक जटिल विषय के रूप में देखने के बजाय इसे जीवन की छोटी-छोटी चीजों से जोड़कर मजेदार और समझने में आसान बनाया जा सकता है।
प्रो. मैत्रा ने बताया कि रसायन विज्ञान केवल प्रयोगशालाओं में होने वाले प्रयोगों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे चारों ओर है। उन्होंने यह समझाया कि हम हर दिन अनजाने में भी रसायन विज्ञान का अनुभव करते हैं, जैसे खाना पकाने में होने वाली रासायनिक प्रतिक्रियाएँ, हमारी सांसों के माध्यम से होने वाली ऑक्सीकरण प्रक्रियाएँ और यहां तक कि हमारे मूड और भावनाओं में भी रासायनिक तत्व शामिल होते ही
प्रो. मैत्रा  ने ओकम रेजर के सिद्धांत को समझाया जिसमें उन्होंने कहा  कि किसी भी समस्या का समाधान जितना सरल होगा वह उतना ही अधिक प्रभावी होगा। इसके बाद उन्होंने  एबी सीनियम का भी उल्लेख किया सटीक  स्पष्ट किया गया ।उन्होंने समझाया कि चाहे वह रासायनिक समीकरण हो या जीवन की कोई भी समस्या इन तीन बातों का पालन करना आवश्यक है।
उन्होंने व्याख्यान के दौरान कई सरल और मजेदार प्रयोग भी दिखाए, जिनसे छात्रों ने रसायन विज्ञान के सिद्धांतों को बेहतर तरीके से समझा। उन्होंने पानी में सोडा डालने, रंग बदलने वाले केमिकल्स और घरेलू वस्तुओं से छोटे-छोटे प्रयोग करके यह दिखाया कि रसायन विज्ञान कितना रोचक हो सकता है।

प्रो. मैत्रा  ने अंतर्राष्ट्रीय संख्या प्रणाली के बारे में भी बताया जो कि खाद्य पदार्थों में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक यौगिकों को एक विशेष पहचान नंबर देता है। ये नंबर दर्शाते हैं कि किस रासायनिक यौगिक का उपयोग किस खाद्य सामग्री में किया गया है, ताकि उपभोक्ता और वैज्ञानिक आसानी से समझ सकें कि कौन से यौगिक का किस प्रकार का उपयोग हो रहा है। इससे खाद्य सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित होती है।

प्रो. मैत्रा ने एक और मजेदार प्रयोग एलिफेंट टूथपेस्ट दिखाया, जिसमें हाइड्रोजन पेरोक्साइड  और सोप का उपयोग किया जाता है। उन्होंने समझाया कि जब सोप और पोटैशियम आयोडाइड  को मिलाया जाता है, तो यह तेजी से पानी  और ऑक्सीजन गैस  में विघटित हो जाता है, जिससे बड़े बुलबुले और झाग बनते हैं, जो देखने में हाथी के टूथपेस्ट जैसे लगते हैं। प्रयोग को और आकर्षक बनाने के लिए, उन्होंने दो हिस्सों में विभाजित घोल में अलग-अलग फूड कलर मिलाए, जिससे एक रंगीन झाग बना। इस प्रयोग ने छात्रों में विज्ञान के प्रति उत्साह और जिज्ञासा को और भी बढ़ा दिया
प्रो.  मैत्रा का संदेश था कि रसायन विज्ञान को उबाऊ और कठिन विषय के रूप में देखने के बजाय इसे जीवन के हर पहलू से जोड़कर देखें। यह समझने का प्रयास करें कि दुनिया कैसे काम करती है और अपने ज्ञान का उपयोग नए रचनात्मक और रोचक प्रयोग करने में करें।
रसायन विज्ञान केवल एक पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं बल्कि जीवन का अभिन्न अंग है उनका यह दृष्टिकोण न केवल शिक्षाप्रद था बल्कि मनोरंजक भी जिससे छात्रों ने रसायन विज्ञान को एक नए और रोचक तरीके से समझा।
प्रो.उदय मैत्रा  फेलो ऑफ नेशनल अकादमी है तथा  इंडियन इंस्टिटूट बगलूरु मे प्रोफेसर है उनका विशेष रूप से सम्मानित किया गया। 
इस दौरान डॉ.चित्रा पांडे, डॉ. गीता तिवारी, डॉ. पेनी जोशी, डॉ. दीपशिखा, डॉ.गिरीश खर्कवाल , डॉ. एनजी साहू, डॉ. महेशचंद्र आर्या, डॉ. मनोज धोनी, डॉ. ललित मोहन, अचल अनीजा समेत अन्य लोग मौजूद रहें ।

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