नैनीताल :::- कुमाऊं विश्वविद्यालय के महिला अध्ययन केंद्र  एवं आंतरिक शिकायत समिति डीएसबी परिसर के द्वारा  एक दिवसीय वेबीनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता राजनीति विज्ञान विभाग रोहिलखंड विश्वविद्याल से प्रो.नीलम गुप्ता होगी। कार्यक्रम में प्रो. चंद्रकला रावत अध्यक्ष अंतरिक्ष शिकायत समिति  डीएसबी परिसर के द्वारा शनिवार को संगोष्ठी के बारे में चर्चा की गई। उन्होंने अंतरिक्ष शिकायत समिति की गठन और उसके कार्यों पर व्यापक रूप से प्रकाश डाला। इस दौरान प्रो.नीता बोरा शर्मा के द्वारा बताया कि आज का जो विषय है जेंडर अवधारणा एवं विविध आयाम यह कितना महत्वपूर्ण है और कितना व्यापक है जेंडर एक सामाजिक अवधारणा है जो कि पुरुष और महिलाओं के बीच सामाजिक रूप से बनाए गए अंतर  को संदर्भित करता है। इसमें पुरुष और स्त्री के   व्यवहार और भूमिकाओं के साथ-साथ जिम्मेदारियां को भी संदर्भित करते हैं,लिंग का अध्ययन एक अतः विषय शैक्षणिक क्षेत्र है जो लिंग पहचान और लिंग आधारित प्रतिनिधित्व का विश्लेषण करता है और जब हम इसकी पृष्ठभूमि में जाते हैं तो लिंग अध्ययन का प्रारंभ महिला अध्ययन की क्षेत्र से हुआl जिसमें नारीवाद लिंग और राजनीति से संबंधित विषय शामिल हैl  उन्होंने यह भी बताया कि किस प्रकार से महिला अध्ययन केंद्रमहिला सशक्तिकरण और लैंगिक संवेदनशीलता के लिए निरंतर प्रयत्नशील हैl और महिला अध्ययन केंद्र महिला सशक्तिकरण से संबंधित क्षेत्र और मुद्दों पर विशेष जोर देता हैl जिसमें महिला अध्ययन द्वारा विभिन्न सेमिनार कार्यशाला पर चर्चा और विद्यार्थियों में लैंगिक संवेदनशीलता लाना प्रमुख है।   प्रो.नीलम गुप्ता ने यह बताया कि किस प्रकार से  लिंग को परिभाषित करते हैं और उसकी अवधारणा को व्यापक रूप से बताने का प्रयास उन्होंने अपने संबोधन के अंतर्गत किया। साथ ही उसके विविध आयामों पर बात करते हुए उन्होंने यह बताया कि कोई भी बच्चा जब पैदा होता है तो वह बच्चा होता है लेकिन संस्कृति उसकी स्त्री और पुरुष के रूप में विकसित करती है,जिसमें समोन के द्वारा कहा गया यह शब्द स्त्री पैदा नहीं होती बना दी जाती अपने आप ही सिद्ध हो जाता है। उन्होंने विभिन्न विचारकों की विचारों को भी स्पष्ट किया कि किस प्रकार से उन्होंने नारीवाद पर अपना अध्ययन किया है और लैंगिक समानता को बढ़ावा दिया उन्होंने विभिन्न कानूनी और कल्याणकारी योजनाओं के बारे में भी बताया, उन्होंने बताया कि 1970 का दशक महिला कल्याण का दौर था और 1980 का दौर महिला विकास का दौर रहा 1975 से 85 का दशक महिला सशक्ति  का दौर कहा जा सकता है। 1990 की दशक में जेंडर एंड डेवलपमेंट की बात की गई उन्होंने विभिन्न महिला  संगठनों की द्वारा जो महिला सुरक्षा सशक्तता के लिए आंदोलन किया गया उसकी भी व्यापक रूप से चर्चा की लेकिन उन्होंने एक सवाल आज संगोष्ठी में सबके लिए रखा कि आज महिला सुरक्षा को सबसे ज्यादा खतरा है लेकिन आज क्यों विभिन्न महिला संगठनों के द्वारा पूर्व की भांति उसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई जा रही है।

इस दौरान संगोष्ठी में प्रो.ललित तिवारी, प्रो. नीरज टंडन, प्रो. इंदु पाठक,प्रो.नीलू  लोढ़ियाल,प्रो.दीपाक्षी, प्रो.गीता तिवारी, प्रो.सीरीज मौर्य,प्रो.निर्मला, प्रो.  हरिप्रिया पाठक, डॉ.विवेक, डॉ.राजेंद्र, डॉ.भूमिका, डॉ. पंकज सिंह नेगी समेत अन्य लोग मौजूद रहें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed