नैनीताल:::- उतराखंड राज्य आंदोलनकारी क्रांतिकारी मोर्चा द्वारा सरोवर नगरी नैनीताल, कैंची धाम, तथा निकटवर्ती पर्यटन स्थलों में पर्यटन सीजन के दौरान चार धाम की तर्ज पर बढ़ते हुए वीवीआईपी दौरौ पर रोक लगाई जाने की मांग प्रदेश सरकार से की गई हैं,
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी क्रांतिकारी मोर्चा के नगर अध्यक्ष शाकिर अली, राज्य आंदोलनकारी एवम् पूर्व नगर पालिका परिषद नैनीताल के अध्यक्ष मुकेश जोशी मंटु, मनमोहन सिंह कनवाल, इंदर सिंह नेगी, महेश जोशी, आदि राज्य आंदोलनकारियों ने प्रेस को जारी संयुक्त रूप से एक बयान में कहा कि नैनीताल नगर, प्रसिद्ध धार्मिक स्थल कैंची धाम, और निकटवर्ती प्रर्यटक स्थलों में जिस तेजी से प्रर्यटन सीजन के दौरान वीवीआईपी दौरौ का कल्चर बढ़ता जा रहा है, उससे देश विदेश से आने वाले हजारों हजार प्रर्यटको के साथ साथ स्थानीय जनता को भी भारी फजीहत का सामना करना पड़ रहा है,
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी क्रांतिकारी मोर्चा से जुड़े राज्य आंदोलनकारियों ने कहा कि सरोवर नगरी नैनीताल, कैंची धाम और निकटवर्ती प्रर्यटक स्थलों में प्रदेश सरकार को बढ़ते हुए प्रर्यटन सीजन के दौरान इस प्रकार से वीवीआईपी दौरौ पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए
राज्य आंदोलनकारियों ने कहा कि सरोवर नगरी नैनीताल और आस पास का समूचा क्षेत्र इस समय बढ़ते हुए यातायात की वजह से वैसे ही बुरी तरह से झूझ रहा है, और बहार से आने वाले प्रर्यटको के साथ साथ स्थानीय जनता को भी घंटो घंटो तक लंबे जाम से झूझना पड़ रहा है, और ऐसे समय में बढ़ते हुए वीवीआईपी दौरौ के कारण पूरे क्षेत्र की यातायात व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो रही है
राज्य आंदोलनकारियों ने कहा कि प्रदेश सरकार को इस गंभीरता को समझते हुए तुरंत वीवीआईपी दौरौ पर रोक लगाई जानी चाहिए
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों ने प्रदेश के महामहिम राज्यपाल महोदय से भी निवेदन किया है, कि बढ़ते हुए यातायात व्यवस्था की गंभीरता को समझते हुए, उनको भी अपने नैनीताल दौरौ को स्थगित किया जाना चाहिए,
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों ने कहा कि महामहिम राज्यपाल महोदय के दौरौ के कारण भी वीवीआईपी डयूटी में पुलिस कर्मियों को लगाये से पूरी यातायात व्यवस्था धरासाई हो जाती है
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों ने प्रदेश सरकार को स्पष्ट रूप से चेतावनी देते हुए कहा कि अगर शीघ्र ही इस समस्या का समाधान नहीं निकाला गया तो, उनको मजबूर होकर नैनीताल राजभवन के मुख्य द्वार पर धरना प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा, जिसका पूर्ण उत्तरदायित्व प्रदेश सरकार का होगा।
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