नैनीताल। देशभर में 01 जुलाई से नए कानून लागू हो रहे हैं।   इस दौरान हाई कोर्ट के अधिवक्ता ललित मिगलानी ने बताया की अब से नये कानून के बदलाव के मुताबिक ही केस दर्ज होंगे। मुख्य अपराधों की धाराएं बदल जाएंगी। अब इंडियन पीनल कोड (IPC) की जगह भारतीय न्याय संहिता (BNS) कहा जाएगा। क्रिमिनल प्रोसिजर कोड (CrPC) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो जाएगा। नए कानून के अनुसार नाबालिग से दुष्कर्म का दोष साबित होने पर फांसी या उम्रकैद होगी। सामूहिक दुष्कर्म के दोषी को 20 साल की सजा या जिंदा रहने तक जेल की सजा का प्रावधान नए कानून में है। वहीं मॉब लिंचिंग के केस में फांसी की सजा दी जाएगी। आपराधिक मामलों में आईपीसी की जो धाराएं पुलिस, वकील, कोर्ट में आम हो चुकी थीं उनमें बदलाव हो जाएगा। पुलिस की जांच प्रक्रिया और कोर्ट में ट्रायल में बदलाव आएगा। इस दौरान मिगलानी ने बताया कि भारतीय न्याय संहिता  यह आईपीसी का नया नाम होगा। इसमें कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जैसे कि अपराधों के लिए नई सजाएं, जमानत के नए प्रावधान और त्वरित सुनवाई के लिए नए नियम। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता यह सीआरपीसी  का नया नाम होगा। इसमें पुलिस जांच, अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष के अधिकारों, और सबूतों के संग्रह से संबंधित प्रावधानों में बदलाव किए गए हैं भारतीय साक्ष्य अधिनियम: यह ईवीए का नया नाम होगा। इसमें साक्ष्यों के प्रकार, उनकी स्वीकार्यता और मूल्यांकन से संबंधित प्रावधानों में बदलाव किए गए हैं। सड़क दुर्घटना करने वाला ड्राइवर अगर पीड़ित को अस्पताल या पुलिस स्टेशन ले जाता है तो उसकी सजा कम करने का प्रावधान भी है। सिर पर लाठी मारने वाले पर अभी सामान्य झगड़े की धारा लगती है। अब विक्टिम के ब्रेन डेड पर दोषी को 10 साल की सजा मिलेगी। किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने पर पुलिस को उसके परिवार को जानकारी देनी होगी। केस में 90 दिन में क्या किया, इसकी जानकारी पीड़ित को देनी होगी। अगर आरोपी 90 दिन में कोर्ट में पेश नहीं होगा तो अब उसकी गैरमौजूदगी में ट्रायल चलेगा। अब ट्रायल कोर्ट को 3 साल में फैसला देना होगा, फैसले के 7 दिन में सजा सुनानी होगी। मिगलानी ने बताया की ऐसे कई नये बदलाव है जिनकी जानकारी वो समय समय पर विस्तार से देते रहेगे चलिए कल से नय कानूनो का स्वागत करते है व बताया की टाइमलाइन तय, जांच में तेजी आएगी।
इस दौरान  बूंदी के जिला पुलिस अधीक्षक हनुमान प्रसाद मीणा ने बताया कि नए कानून का बड़ा फायदा यह है कि इसकी टाइमलाइन तय है। पुलिस की जांच और ट्रायल कोर्ट में फैसले का समय तय है, जिससे आमजन को जल्दी न्याय मिल सकेगा। नए कानून में अब ऑनलाइन विटनेस हो सकता है, सशरीर मौजूदगी जरूरी नहीं होगी, ऐसे में समय खराब नहीं होगा। केस पेंडिंग नहीं रहेंगे और समय पर समाधान होता जाएगा।

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