नैनीताल :::- कुमाऊँ विश्वविद्यालय के लिए यह अत्यंत गर्व का विषय है कि विश्वविद्यालय ने जापान के जापान एडवांस्ड इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (जेएआईएसटी) के साथ एक महत्त्वपूर्ण सहमति-पत्र (समझौता ज्ञापन) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता दोनों संस्थानों के बीच शैक्षणिक, अनुसंधान एवं सांस्कृतिक सहयोग को मजबूती प्रदान करेगा।
इस समझौते के अंतर्गत कुमाऊँ विश्वविद्यालय के 3 से 4 स्नातक विद्यार्थियों को जापान एडवांस्ड इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में इंटर्नशिप या एक वर्षीय पाठ्यक्रम में अध्ययन करने का अवसर मिलेगा। उल्लेखनीय है कि इन विद्यार्थियों से उस एक वर्षीय कार्यक्रम के दौरान प्रवेश शुल्क, परीक्षा शुल्क और शिक्षण शुल्क नहीं लिया जाएगा।
एक वर्षीय कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूर्ण करने वाले विद्यार्थियों को जेएआईएसटी से स्नातकोत्तर उपाधि (मास्टर्स डिग्री) प्रदान की जाएगी, जिससे वे भविष्य में उसी संस्थान में पीएचडी के लिए पात्र हो सकेंगे। यह अवसर उन विद्यार्थियों के लिए अत्यंत लाभकारी होगा, जो वैश्विक स्तर पर उच्च शिक्षा एवं शोध कार्य करना चाहते हैं।
इस समझौते में केवल विद्यार्थियों का नहीं, बल्कि शिक्षकों का आदान-प्रदान भी शामिल है। दोनों संस्थान आपस में शिक्षकों को आमंत्रित कर शैक्षणिक विचारों, अनुभवों और अनुसंधान पद्धतियों का साझा मंच उपलब्ध कराएंगे।
कुलपति प्रोफ़ेसर दीवान एस. रावत जब दिल्ली विश्वविद्यालय में कार्यरत थे, तभी उन्होंने जेएआईएसटी के साथ इस प्रकार के अकादमिक सहयोग की पहल की थी, जिसके अंतर्गत कई विद्यार्थियों को पीएचडी की उपाधियाँ प्राप्त हुईं।
अब प्रो. रावत ने कुमाऊँ विश्वविद्यालय में भी इस प्रकार का अंतरराष्ट्रीय सहयोग स्थापित कर यह सिद्ध किया है कि गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा और वैश्विक सहयोग उनकी प्राथमिकता में सर्वोपरि हैं। यह कुलपति प्रोफ़ेसर दीवान एस. रावत के दूरदर्शी नेतृत्व और अकादमिक प्रतिबद्धता को परिलक्षित करने के साथ उनकी समर्पण भावना और व्यापक दृष्टिकोण को दर्शाता है।
यह समझौता न केवल कुमाऊँ विश्वविद्यालय के लिए, बल्कि उत्तराखंड राज्य के लिए भी एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। इससे विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों और शोधार्थियों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने का अवसर प्राप्त होगा।
प्रो. रावत ने कहा की जापान के साथ यह सहयोग आने वाले समय में दोनों संस्थानों के बीच गहरे और स्थायी शैक्षणिक संबंध स्थापित करेगा तथा विश्वविद्यालय की वैश्विक रैंकिंग और प्रतिष्ठा को सुदृढ़ करने में सहायक सिद्ध होगा।

Ik achchi pahal h.Isse sabhi bachcho ko labh mile….or percentage bathak na ho..