नैनीताल :::-  विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिवान एस. रावत को रसायन विज्ञान के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट, नवोन्मेषी व दीर्घकालिक योगदान के लिए प्रतिष्ठित ‘उत्तराखंड गौरव सम्मान’ से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान उन्हें  16 नवंबर को लखनऊ में आयोजित हुए ‘उत्तराखण्ड महोत्सव 2025’ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रदान किया गया।

यह सम्मान प्रो. रावत के बहुआयामी शैक्षणिक व्यक्तित्व, शोध कार्यों और विज्ञान की प्रगति में दिए गए अमूल्य योगदान की सशक्त स्वीकृति माना जा रहा है। रसायन विज्ञान की अंतरराष्ट्रीय शोध-पत्रिकाओं में उनका योगदान, नई खोजों को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता और युवाओं को शोध एवं नवाचार की ओर प्रेरित करने वाली उनकी भूमिका लंबे समय से चर्चित रही है।

प्रो. रावत ने औषधीय रसायन के क्षेत्र में उल्लेखनीय शोध कार्य किया है। पार्किंसन रोग के उपचार हेतु उनकी टीम द्वारा विकसित एक महत्वपूर्ण मॉलिक्यूल को हाल ही में फेज-I मानव क्लीनिकल ट्रायल में सफलता मिली है, जो किसी भारतीय अकादमिक संस्थान द्वारा US-FDA अनुमोदन प्राप्त करने वाली अत्यंत दुर्लभ उपलब्धियों में से एक है। उनके नाम 175 से अधिक शोध पत्र, अनेक पेटेंट और अंतरराष्ट्रीय दर्जे की प्रयोगशाला उपलब्धियाँ दर्ज हैं।

इससे पहले प्रो. रावत को भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (INSA) द्वारा फेलो (FNA) चुना जा चुका है। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2025 पर भी उन्हें विज्ञान में उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया था। इन सम्मानों ने प्रो. रावत के शोध कार्य को राष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय में विशेष प्रतिष्ठा प्रदान की है।

कुलपति के रूप में प्रो. रावत ने कुमाऊँ विश्वविद्यालय को न सिर्फ शैक्षणिक दिशा में नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया है, बल्कि शोध, नवाचार, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रशासनिक सुधारों के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पहलें की हैं। विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में उनका योगदान उल्लेखनीय है।

सम्मान प्राप्त करने के बाद प्रो. रावत ने कहा कि यह उपलब्धि केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि पूरे कुमाऊँ विश्वविद्यालय परिवार की उपलब्धि है। उन्होंने इसे वैज्ञानिक अनुसंधान, नवाचार और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरणा स्रोत बताया।

इस प्रतिष्ठित सम्मान से विश्वविद्यालय समुदाय में हर्ष की लहर है और इसे विश्वविद्यालय द्वारा निरंतर किए जा रहे शैक्षणिक व शोध कार्यों की सार्थक स्वीकृति माना जा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed