नैनीताल :::- श्री नंदा देवी की आरती पंच आरती बहुत प्रसिद्ध है । पंच आरती सूर्य अस्त होने के बाद की जाती है ।आरती का उल्लेख  स्कंद पुराण में मिलता है । अरिष्ट , विपत्ति, कष्ट ,कलेश को हरती हैं आरती , आरती श्रद्धा ,आराधना ,ध्यान ,भावना का मार्ग है । आरती का अर्थ  निराजना है जो अंधकार में प्रकाश दीप दिखाता है । आरती जलती लौ घी या तेल के साथ भिगाकर की जाती है । पंच आरती में पृथ्वी ,जल,प्रकाश ,वायु ,आकाश ,अंतरिक्ष को शामिल किया जाता है आरती जल ,पुष्प ,वायु ,अग्नि , कपड़े के साथ इस   आशय से की जाती है  की हमारी गलती की माफी दे । आरती में कलश जिसमे सारे भगवान रहते है ,जल जो शुद्ध है ,नारियल जो सकारात्मक है ,सोना जो सकारात्मक है। ताँबे की मुद्रा जो सात्विक लहरे देती है , सप्त नदियों का जल जो शुद्धता है ,पान सुपारी जो रजो गुण हरता है के साथ तुलसी  जो पवित्र है को रखा जाता है । मन को उल्लाषित  तथा ऊर्जा का प्रवाह  करने के लिए आरती की जाती है । पंच आरती विश्व कल्याण के लिए की जाती है पंच आरती के बाद हलुवा का प्रसाद जिसका अर्थ ही मीठा है को प्रसन्नता एवम आनंद के लिए दिया जाता है । प्रो ललित  तिवारी ने बताया की पंच आरती सकारात्मक ऊर्जा  के प्रवाह को दर्शाती है जो स्नेह ,निरोगता समृद्धि को बढ़ती है ।

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