नैनीताल:::- परंपरा और संस्कृति के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए हैप्पीनेस वुमेन्स कलेक्टिव, आर्ट ऑफ़ लिविंग के तत्वावधान में शनिवार को गोवर्धन हॉल में उत्तराखंड की पारंपरिक कला रंगवाली पिछोड़ा के संरक्षण और इसे नई पीढ़ी तक पहुँचाने के लिए एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इस दौरान रंगवाली पिछोड़ा, कुमाऊँ क्षेत्र की महिलाओं की पारंपरिक ओढ़नी है, जो विवाह एवं अन्य शुभ अवसरों पर धारण की जाती है। लाल-पीले रंगों और धार्मिक प्रतीकों से सुसज्जित यह ओढ़नी क्षेत्रीय संस्कृति की पहचान मानी जाती है। कार्यशाला में प्रशिक्षक ज्योति साह और सहायिका भगवती सुयाल ने पिछोड़ा निर्माण की पारंपरिक तकनीकों जैसे हाथ की छपाई, प्राकृतिक रंगों का प्रयोग और प्रतीकों के महत्व को विस्तार से सिखाया। साथ ही सरकारी विद्यालयों के 110 बच्चों को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में पिछोड़ा के उपयोग और संरक्षण संबंधी जानकारी दी गई।

वही ईशा साह, अंजू जगाती ने पिछोड़ा के इतिहास, सांस्कृतिक महत्व तथा इसके दुरुपयोग से बचने की सलाह दी। प्रतिभागी विद्यालयों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए।

इस दौरान  रेशमा टंडन, कविता गंगोला, सुनीता वर्मा, प्रेमलता गोसाईं, संगीता शाह, सिम्मी अरोरा, सोनी अरोरा, मंजू नेगी, मंजू बिष्ट, किरण टंडन, बीना शर्मा, कविता जोशी, कविता सनवाल, शिखा साह, वैशाली बिष्ट, संध्या तिवारी, मधु बिष्ट, ममता गंगोला, पूजा शाही, ज्योति मेहरा, पूजा मल्होत्रा, श्वेता अरोरा, वंदना मेहरा, कामना कंबोज, उमा कांडपाल, रीना सामंत, रमा तिवारी, निम्मी कीर, विमला कफलटीया, नेहा डालाकोटी, सोमा शाह समेत अन्य लोग मौजूद रहें।

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