नैनीताल:::- बिड़ला विद्या मंदिर के तत्वाधान में सोमवार को भारतीय भाषा समर कैंप भाषा और संस्कृति की रंगीन झलकियों के साथ संपन्न हुआ। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण कुमाऊनी भाषा में संवाद अभ्यास जिसमें बच्चों और युवाओं ने पारंपरिक अभिवादन, दैनिक वार्तालाप और गीतों के माध्यम से कुमाऊंनी भाषा की जीवंतता को अनुभव किया।
कुमाऊनी अभिवादन कार्यशाला से हुई जहाँ प्रतिभागियों ने जै राम जी की, घुघुति बासुति, खुस रहो जैसे पारंपरिक शब्दों और वाक्यों का अभ्यास किया। जिसके बाद संवाद सत्र मा आयोजन किया गया जिसमें विद्यार्थियों ने विभिन्न दैनिक जीवन की स्थितियों पर कुमाऊनी में संवाद प्रस्तुत किए, जैसे बाज़ार में बातचीत, अतिथि का स्वागत और पारिवारिक चर्चाए। भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि संस्कृति की आत्मा होती है। इस प्रकार के आयोजन हमारे युवाओं को अपनी जड़ों से जोड़ने का कार्य करते हैं।
कार्यक्रम का समापन लोक-कथा वाचन सत्र के साथ हुआ जिसमें बगड्या भुलि और नैण सिंह रावत जैसी कहानियाँ सुनाईं, जिससे बच्चों को कुमाऊं की गौरवशाली परंपरा और इतिहास से परिचित कराया गया।

यह पाठ नैनीताल और उसके आसपास की घटनाओं को दर्शाता है। भाषा और संस्कृति के प्रति समर्पण देखकर अच्छा लगा। नशा मुक्ति अभियान जैसे प्रयास समाज के लिए सराहनीय हैं। राज्यपाल का धार्मिक स्थलों पर जाना सांप्रदायिक सद्भाव को दर्शाता है। रोडवेज बस दुर्घटना की खबर चिंताजनक है, क्या इसके पीछे कोई विशेष कारण था? सरकारी योजनाओं के प्रचार के लिए सांस्कृतिक दलों का उपयोग एक अच्छा कदम है। क्या इन योजनाओं का लाभ सही लोगों तक पहुँच रहा है?