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नैनीताल:::-  कुमाऊँ विश्वविद्यालय में संविदा प्राध्यापकों के कार्य एवं शैक्षणिक प्रदर्शन के मूल्यांकन की नई और पारदर्शी प्रक्रिया प्रारम्भ की गई है। इस श्रृंखला के अंतर्गत आज प्रबंधन एवं वाणिज्य संकाय के संविदा प्राध्यापकों का मूल्यांकन किया गया।
बैठक में बाह्य एवं आंतरिक विशेषज्ञों ने उपस्थित होकर प्राध्यापकों की शिक्षण पद्धतियों और शैक्षणिक योगदान का आकलन किया। चूँकि उच्च शिक्षा में नवाचार और प्रकाशन अनिवार्य अंग हैं, इसलिए अधिकतम शैक्षणिक गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु प्रत्येक संविदा प्राध्यापक से पिछले पाँच वर्षों में किए गए शोध-प्रकाशनों/पुस्तक प्रकाशनों एवं परियोजनाओं पर प्रस्तुतिकरण देने को कहा गया। इसके आधार पर सभी प्राध्यापकों को ग्रेड प्रदान किए गए।
कुलपति प्रो. दीवान एस. रावत ने कहा कि यह पहल कुमाऊँ विश्वविद्यालय के शैक्षणिक वातावरण को नई दिशा देने का प्रयास है। संविदा प्राध्यापकों के कार्य की पारदर्शी और गुणवत्तापूर्ण समीक्षा से हम युवा शिक्षकों को प्रेरित करेंगे तथा अपने अकादमिक मानकों को और ऊँचाइयों तक ले जाएंगे। शोध, नवाचार और गुणवत्तापूर्ण प्रकाशन को बढ़ावा देना विश्वविद्यालय की प्राथमिकता है।
प्रो. रावत ने कहा कि कई प्राध्यापकों ने स्कोपस और एबडीसी इंडेक्स्ड जर्नल्स में शोध प्रकाशित किए हैं, जो अत्यंत उत्साहजनक है। साथ ही सभी को यह स्पष्ट निर्देश दिया गया कि तथाकथित पीयर रिव्यू के नाम पर प्रीडेटरी पत्रिकाओं में प्रकाशन न करें।
उन्होंने कहा कि इस मूल्यांकन श्रृंखला के अगले चरण में अन्य संकायों के संविदा प्राध्यापकों का भी इसी प्रकार मूल्यांकन किया जाएगा, जिससे सभी संकायों में उच्च शैक्षणिक मानक सुनिश्चित हो सकें और छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षण-अध्ययन वातावरण मिल सके।

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