नैनीताल :::-कुमाऊं विश्वविद्यालय डीएसबी परिसर के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन। वहीं शोधार्थियों द्वारा शोध पत्र प्रस्तुत करके हुई जिसमें दो तकनीकी सत्र को संपन्न किया गया।
इस दौरान प्रो.कल्पना अग्रहरि, प्रो.हरिओम, प्रो.भुवन तिवारी,प्रो.एरोन के द्वारा अध्यक्षता की गई। शोधार्थियों के द्वारा जनहित याचिका से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर शोध पत्र प्रस्तुत किए गए जिसमें जनहित के समक्ष प्रस्तुत चुनौतियां को भी रेखांकित किया गया। सत्र का समापन अध्यक्षों के द्वारा शोध पत्रों के मूल्यांकन पर की गई टिप्पणी से हुआ।
समापन सत्र प्रारंभ हुआ जिसमें स्थानीय विधायक सरिता आर्या , प्रो. एमपी दुबे, प्रो. डीके पी चौधरी,प्रो. रघुवेंद्र प्रताप सिंह के वक्तव्यो से हुई। विधायक वर्तमान समय में हो रहे जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों की तरफ सभी का ध्यान आकर्षित किया तथा वैज्ञानिक कम्युनिटी से अपील की कि विभिन्न नए शोधों के द्वारा उनका समाधान ढूंढने का प्रयत्न करें। प्रो. एमपी दुबे ने मानवाधिकार के विभिन्न चरणों को विस्तार से बताते हुए भारतीय संविधान के प्रावधानों से छात्रों को अवगत कराया।
प्रो.डीकेपी चौधरी ने बताया की इस तरह की राष्ट्रीय संगोष्ठी में जवाबों से ज्यादा नए और प्रासंगिक सवालों को उठाना जरूरी है उन्होंने मानवाधिकार संरक्षण में गैर सरकारी संगठनों की भूमिका का महत्व बताया। वहीं प्रो.राघवेंद्र प्रताप सिंह ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जनहित याचिका का राजनीतिक फायदे और व्यक्तिगत हितों के लिए दुरुपयोग नहीं होना चाहिए जिसके लिए सभी की जिम्मेदारी है।
इस दौरान विभागध्यक्ष और राष्ट्रीय संगोष्ठी की आयोजक प्रो. नीति बोरा शर्मा ने सभी अतिथियों शोधार्थियों और अध्यापकों का आभार और अभिनंदन व्यक्त किया व कहा की सभी के सहयोग के बिना इस कार्यक्रम को संपन्न करना संभव नहीं था और फिर राष्ट्रगान के साथ दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हुआ।
इस दौरान संगोष्ठी में. डॉ. हरदेश कुमार शर्मा, डॉ. रूचि मित्तल, डॉ. पंकज नेगी,डॉ. भूमिका, अविनाश जाटव, गुलसन कुमार समेत पटना,पश्चिम बंगाल,उत्तर प्रदेश, देव सुमन विश्वविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय इलाहाबाद विश्वविद्यालय,रोहिलखंड विश्वविद्यालय,कुमाऊं विश्वविद्यालय,गढ़वाल विश्वविद्यालय, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा द्वारा प्रतिभाग किया गया।