पिथौरागढ़:::- जिले के अंतिम गांव मिलम जो कभी उत्तराखंड का सबसे बड़ा राजस्व गांव हुआ करता था।
क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता बहादुर सिंह धर्मसत्तु ने जानकारी देते हुए बताया कि सन 1962 से पहले तिब्बत ब्यापार का एतिहासिक केन्द्र यह गांव रहा है।

उनका कहना है कि किसी ज़माने में 553 परिवार एक साथ इस गांव में रहते थे, आपको बता दें कि पंडित नैंन सिंह, लवराज धर्मशक्तू जिन्होंने सात बार एवरेस्ट फतह किया है, वह भी इसी गांव के निवासी थे, सन 1962 के बाद पहली बार धर्मशक्तू बिरादरी के 40 से ज्यादा लोग मां नन्दा देवी की पूजा करने मिलम गांव गये थे।

वहीं इस बार भी बड़े ही हर्षोल्लास के साथ आई,टी,बी,पी, आर्मी एवं मिलम गांव के समस्त ग्रामीणों ने बडे़ उत्साह के साथ मां नन्दा देवी की पूजा अर्चना की,उनका कहना है कि आज भी इस एतिहासिक गांव मिलम की गलियां में लोग भटक जाते हैं।

कल्पना कीजिए जब 553 परिवार एक साथ रहते होंगे,तब कैसी रौनक इस गांव में रहती होगी।भारत सरकार एवं राज्य सरकार से समस्त ग्रामीणों ने निवेदन किया है, कि इस गांव को हैरिटेज घोषित किया जाय, एक बार इस गांव का भौतिक सत्यापन कर संज्ञान लेकर देखे और निर्णय ले।

गौरतलब हैं कि,

पिथौरागढ़ के चीन सीमा से लगे मिलम गांव के लोग सैनिकों के साथ देश के लिए अपना योगदान देने को हमेशा तत्पर रहते हैं. मिलम गांव मुनस्यारी ब्लॉक में भारत का अंतिम गांव है, जोकि बर्फीला इलाका है. अन्य लोगों का सर्दियों के मौसम में इस क्षेत्र में रहना लगभग नामुमकिन है,यहां पर तापमान शून्य से भी नीचे रहता है,

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