अल्मोड़ा:::- उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पूर्व दर्जामंत्री बिट्टू कर्नाटक ने पहाड़ी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए अपने कैम्प कार्यालय कर्नाटकखोला अल्मोड़ा में शुक्रवार को नींबू सन्नी पार्टी का आयोजन किया जिसमें सैकड़ों की संख्या में स्थानीय लोग शामिल हुए।लगभग दो क्विंटल नींबू सन्नी के साथ लोगों ने कार्यक्रम का लुत्फ उठाया।इस अवसर पर पूर्व दर्जामंत्री बिट्टू कर्नाटक ने कहा कि हमारे पर्वतीय क्षेत्रों के काश्तकारों को उनकी फसलों का उचित मूल्य मिल सके,पहाड़ी उत्पादों को विश्व स्तर पर बड़ा बाजार उपलब्ध हो इस उद्देश्य के साथ पहाड़ी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए उनके द्वारा इस तरह पहाड़ी उत्पादों को पार्टी लगातार आयोजित की जाती आ रही है।विदित हो कि पूर्व में भी कर्नाटक के द्वारा कई वर्षों से उत्तराखंड सहित चण्डीगड़,दिल्ली आदि स्थानों पर भी पहाड़ी उत्पादों से सम्बन्धित अनेक पार्टियां पूर्व मुख्यमंत्री हरीश के साथ भी आयोजित की गयी है जिनमें ककड़ी पार्टी,आम पार्टी,काफल पार्टी,पहाड़ी व्यंजन भट्ट की चुड़कानी,झिंगुरे की खीर,गहत की दाल,मडुए की रोटी की पार्टी आदि शामिल हैं।इससे पूर्व भी अपने कैम्प कार्यालय में श्री कर्नाटक के द्वारा ककड़ी पार्टी,आम पार्टी एवं काफल पार्टी का आयोजन किया गया है।इस अवसर पर बिट्टू कर्नाटक ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों के काश्तकारों की आर्थिकी पूरी तरह कृषि आधारित है।ऐसे में आवश्यक हो जाता है कि काश्तकारों के पहाड़ी उत्पादों को विश्व पटल पर पहचान मिले तथा इन उत्पादों को एक बड़ा बाजार मिले।जिसका पूरा लाभ काश्तकारों को मिल सके। उन्होंने कहा कि ये पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की ही पहाड़ी पार्टियों को करने का असर है जो आज पहाड़ का मडुआ और झींगूरा विश्व पटल पर अपनी पहचान बना चुका है। उन्होंने कहा कि हमारे पर्वतीय क्षेत्रों में ऐसे अनेक अनाज पैदा होते हैं जो स्वास्थ्य और सेहत की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। लेकिन बड़े दुर्भाग्य की बात है कि हमारे काश्तकारों के पास अपनी इन फसलों को बेचने के लिए कोई बड़ा बाजार नहीं है कोई बड़ी मंडी नहीं है।जिस कारण काश्तकारों को उनकी मेहनत का पूरा लाभ नहीं मिल पाता। श्री कर्नाटक ने प्रदेश सरकार से भी मांग की कि अल्मोड़ा में मंडी की स्थापना की जाए ताकि पर्वतीय क्षेत्र के लोगों को बड़ा बाजार उपलब्ध हो सके।उन्होंने कहा कि पहाड़ी उत्पादों की पार्टी करने के पीछे उनका एकमात्र उद्देश्य यह है कि पहाड़ी क्षेत्र के काश्तकारों द्वारा बड़ी मेहनत से उगाए जाने वाले पर्वतीय उत्पादों को विश्व पटल पर पहचान के साथ ही उत्पादों का उचित मूल्य भी मिले।

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