अल्मोड़ा:::- पूर्व दर्जा मंत्री बिट्टू कर्नाटक ने शुक्रवार को मेडिकल कॉलेज में कर्मचारियों के धरने में पहुंच मेडिकल कॉलेज प्रशासन को खरी खोटी सुनाई,उन्होंने कहा कि वर्षों से कर्मचारी मेडिकल कॉलेज में लगातार अपनी सेवाएं दे रहे हैं लेकिन न ही मेडिकल कॉलेज प्रशासन और न ही प्रदेश सरकार उनके लिए चिंतित है,यह बड़ा ही शर्मनाक वाकया है कि विगत चार माह से कर्मचारियों को उनकी तनख्वाह का भी भुगतान नहीं किया गया है,इसके साथ ही उनके पद सृजन की दिशा में भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है। कर्नाटक ने कहा कि आज दर्जनों कर्मचारियों के सामने अपने परिवार के भरण पोषण की गंभीर समस्या पैदा हो गई है, लेकिन मेडिकल कॉलेज प्रशासन और प्रदेश सरकार इस ओर कोई ध्यान दे रहे हैं,उन्होंने कहा कि लगातार 5 दिनों से मेडिकल कॉलेज के कर्मचारी धरना दे रहे हैं लेकिन कोई भी उनकी सुध नहीं ले रहा है,अब यह सब बर्दाश्त की सीमा से बाहर हो गया है। कर्नाटक ने कहा कि आगामी सोमवार को वह अपने साथियों के साथ कर्मचारियों के समर्थन में कर्मचारियों की मांगों एवं लगातार मेडिकल कॉलेज में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के विरोध में प्राचार्य कक्ष के बाहर धरना/ प्रदर्शन करेंगे। कर्नाटक ने कहा कि यदि इसके बाद भी कर्मचारियों की मांगे पूरी नहीं हुई और मेडिकल कॉलेज की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में सुधार नहीं हुआ तो उन्हें मजबूरन चरण बद्ध तरीके से आंदोलन प्रारंभ करना पड़ेगा, इसकी समस्त जिम्मेदारी मेडिकल कॉलेज प्रशासन की होगी। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज प्रशासन कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान कर पाने में असफल साबित हो रहा है।इसके साथ ही मरीजों को भी लगातार मेडिकल कॉलेज जैसी संस्था में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कर्नाटक ने कहा कि अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में न्यूरो सर्जन,बर्न यूनिट,इमरजेंसी ऑपरेशन थिएटर,डायलिसिस तक की सुविधा नहीं है। डायलिसिस के लिए मरीज हंस फाउंडेशन के डायलिसिस सेंटर पर निर्भर हैं, मेडिकल कॉलेज के नाम पर करोड़ों रुपया खर्च करके यहां पर एक ऐसे सफेद हाथी का पुतला खड़ा कर दिया गया है जो लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं तक उपलब्ध कराने में नाकाम सिद्ध हो रहा है,मेडिकल कॉलेज में मरीजों को बाहर की दवाई लिखी जा रही हैं,आज कर्मचारियों की हड़ताल की स्थिति में आलम यह है कि मरीज के परिजनों को एंबुलेंस से स्टेचर में मरीज को खुद उठकर अस्पताल में ले जाना पड़ रहा है,इसके साथ ही चिकित्सक को दिखाने के लिए ओपीडी का पर्चा काटने तक में मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है,उन्होंने कहा कि केवल ईट ,सीमेंट के बड़े-बड़े कमरे बना देने से अस्पताल नहीं बन जाता, अस्पताल में जो आवश्यक उपकरण, विशेषज्ञ चिकित्सक चाहिए वह तक उपलब्ध नहीं हैं,न्यूरो सर्जन एक महत्वपूर्ण चिकित्सक है जिसका मेडिकल कॉलेज में होना बेहद आवश्यक है।इसके साथ ही उन्होंने कहा कि विगत एक साल से मेडिकल कॉलेज प्रशासन लगातार डंका पीट रहा है कि ब्लड बैंक यहां खुलने वाला है लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि ब्लड बैंक केवल मेडिकल कॉलेज प्रशासन के बयानों तक ही सीमित रह गया है, गर्भवती महिलाओं के अल्ट्रासाउंड के लिए रेडियोलॉजिस्ट तक की व्यवस्था मेडिकल कॉलेज नहीं कर पाया है जो अपने आप में शर्मनाक है,लगातार प्रतिदिन आधा दर्जन मामलों में मरीजों को मैदानी क्षेत्र की ओर रेफर किया जा रहा है और रेफर करने की स्थिति में 108 आपातकालीन सेवा तक मरीजों को उपलब्ध नहीं हो पा रही है,आपातकालीन सेवा स्वयं बीमार है तो ऐसे में सोच सकते हैं की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के क्या हाल होंगे? उन्होंने कहा कि एक लंबा समय मेडिकल कॉलेज,जिला चिकित्सालय एवं महिला चिकित्सालय प्रशासन को दे दिया गया है लेकिन समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं,अब उन्होंने स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में हो रही हीलल हवाली के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और मेडिकल कॉलेज,जिला चिकित्सालय, महिला चिकित्सालय की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं नहीं सुधरी तो वह तीनों चिकित्सालयों के खिलाफ लामबद्ब होकर आंदोलन करने को बाध्य होंगे।इस अवसर पर मेडिकल कालेज के दर्जनों कर्मचारियों सहित हिमांशु कनवाल,हेम जोशी,प्रकाश सिंह,रोहित शैली,राकेश बिष्ट,भूपेंद्र भोज,देवेन्द्र कर्नाटक आदि उपस्थित थे।