अल्मोड़ा:::- मेडिकल कालेज अल्मोड़ा में आउटसोर्सिंग कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर विगत दो दिनों से धरना-प्रदर्शन कर रहें हैं।उनके धरना प्रदर्शन को बुधवार को पूर्व दर्जा मंत्री बिट्टू कर्नाटक ने धरना स्थल पर पहुंचकर अपना समर्थन दिया।इस अवसर पर कर्मचारियों ने भावुक होते हुए कहा कि उनकी बात सुनने के लिए ना ही मेडिकल कालेज का कोई अधिकारी और ना ही कोई जनप्रतिनिधि यहां पहुंचा। उन्होंने कहा की कर्नाटक के धरना स्थल पर पहुंच कर उन्हें समर्थन देने से उनमें एक नयी ऊर्जा का संचार हुआ है‌।विदित हो कि अस्वीकृत पदों में कार्यरत कर्मचारियों के पदों को स्वीकृत करने सहित वेतन आहरित करने,समस्त आऊटसोर्सिंग कर्मचारियों की वेतन वृद्वि करने, के साथ ही कोविड काल से कार्यरत समस्त आउटसोर्स कर्मचारियों को विभागीय संविदा पर रखने की मांग को लेकर मेडिकल कालेज के कर्मचारी धरना दे रहे हैं। कर्मचारियों ने कहा कि विगत दो दिन से वे दिन में दो घंटे धरना दे रहे हैं। लेकिन यदि उनकी मांगे 24 घन्टें के भीतर ना मानी गयी तो वे उग्र आन्दोलन को बाध्य होगें।धरने को सम्बोधित करते हुए पूर्व दर्जा मंत्री बिट्टू कर्नाटक ने कहा कि उत्तराखंड राज्य निर्माण के लिए हमने लड़ाई इसलिए नहीं लड़ी थी कि हमारे पहाड़ी क्षेत्रों के लोगों की इस तरह से उपेक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल में इन कर्मचारियों ने अपनी जान की परवाह ना करते हुए दिन रात चिकित्सालय में अपनी सेवाएं दी हैं।ऐसे में कर्मचारियों की जायज मांगों को ना मानकर उनकी जो अनदेखी की जा रही है उसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार और उससे पहले स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों को कर्मचारियों से धरना स्थल पर जाकर बात करनी चाहिए तथा अविलम्ब उनकी जायज मांगों को पूरा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इन कर्मचारियों को अकेला ना समझे।यदि आवश्यकता पड़ी तो इन कर्मचारियों के हित में वे सड़क पर उतरकर आन्दोलन करने को बाध्य होंगे। उन्होंने कहा कि ये जो एक सौ पचास से अधिक कर्मचारी आज अपनी मांगों को लेकर धरने में बैठे हैं ये सब उनके परिवार के सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि अल्मोड़ा विधानसभा का प्रत्येक व्यक्ति उनके पारिवारिक सदस्य की तरह है जिनका शोषण वे किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि दिन रात कोरोनाकाल में अपनी परवाह किए बिना अपनी सेवाएं देने वाले इन कर्मचारियों की अगर अनदेखी हुई तो वे स्वयं इन कर्मचारियों की लड़ाई को लड़ने का काम करेंगे, जिसकी समस्त जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग और प्रदेश सरकार की होगी। उन्होंने कहा कि बड़े शर्म की बात है कि अपनी पूरी सेवा देने के बाद भी इन कर्मचारियों को मात्र नौ हजार रूपये दिए जा रहे हैं। सोचनीय विषय है कि मात्र नौ हजार रूपए में कैसे ये कर्मचारी अपने परिवार का भरण पोषण करेंगे।

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