नैनीताल :::- कुमाऊं विश्वविद्यालय महिला अध्ययन केंद्र द्वारा आयोजित आदिवासी जनजाति के रहन-सहन और उनके उत्थान के लिए  दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसके अंतर्गत आशा फाउंडेशन की अध्यक्ष आशा शर्मा को महिला सशक्तिकरण सम्मान 2025 से सम्मानित किया गया। यह सम्मान कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर दीवान सिंह रावत और पूर्व चीफ़ जस्टिस राजेश टंडन द्वारा किया गया।  इस दौरान प्रवक्ताओं द्वारा महिलाओं के अधिकार , आदिवासी जनजाति के रहन-सहन और उनके उत्थान पर अपनी बात रखी ।  कार्यक्रम के तहत उत्तराखंड के साथ-साथ अन्य राज्यों से प्रवक्ताओं ने अपनी बात रखी। आदिवासियों को उनके स्वास्थ्य और उनके अधिकारों शिक्षा आदि के लिए प्रेरित करने के साथ-साथ जागरूक करने की बात कही गई।  जो की बहुत ही महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ एक विचारणीय विषय को ऊपर लाने की कोशिश थी और एक बहुत बड़े शोध का विषय भी है। इस पर सही मायने में बहुत कम करने की जरूरत है । उत्तराखंड के अलग-अलग क्षेत्र से चार महिलाओं को सम्मानित किया गया जिसके अंतर्गत आशा फाउंडेशन द्वारा लगातार पिछले 5-6 वर्षों से चल रही कार्य के तहत अध्यक्ष आशा शर्मा को सम्मानित किया गया। यह सम्मान उनके द्वारा किए गए महिला सशक्तिकरण और महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के तहत यह सम्मान दिया गया। आशा शर्मा ने बताया कि उनके लिए यह सम्मान बहुत अहम है। क्योंकि महिलाओं को जागरूक करने का लगातार गांव-गांव में जाकर कार्य किया जा रहा है ।फिर चाहे वह स्वास्थ्य के प्रति कैंसर को लेकर हो या उनके अधिकारों के प्रति हो या महिलाओं के दायित्वों के प्रति हो सभी को लेकर आशा फाउंडेशन द्वारा लगातार यह मुहिम पहाड़ के दूर दराज के क्षेत्र में जारी है।  आशा शर्मा ने महिला अध्ययन केंद्र की डायरेक्टर नीता बोरा शर्मा, प्रो.किरण तिवारी, प्रो. ललित तिवारी का आभार व्यक्त किया।

इस दौरान एस एस जीना अल्मोड़ा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.सतपाल सिंह बिष्ट  ,प्रो. विजय रानी डूंडियाल ,प्रो.पिंकी शर्मा फैकल्टी ऑफ़ लॉ दिल्ली यूनिवर्सिटी, प्रो. नुसरत परवीन खान फैकेल्टी आफ लॉ जामिया मिलिया इस्लामिया नई दिल्ली समेत अन्य लोग रहें।

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