नैनीताल :::- कुमाऊँ विश्वविद्यालय के प्रबंधन अध्ययन विभाग में दो दिवसीय लाइफ स्किल्स कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। यह कार्यशाला पीएम-यूएसएचए (मेरु) पहल के अंतर्गत आयोजित हुई, जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों को शैक्षणिक ज्ञान के साथ-साथ जीवन और करियर में सफलता के लिए आवश्यक कौशलों से सशक्त बनाना रहा।
कार्यशाला का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डीएस रावत के शुभकामना संदेश से हुआ। विशेषज्ञ प्रो. एच.सी. पोखरियाल ने पारस्परिक संबंध, संघर्ष समाधान, आलोचनात्मक सोच, समस्या समाधान और रचनात्मक निर्णय लेने जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया।
सत्रों का संचालन प्रो. अमित जोशी और प्रो. अर्चना नेगी शाह द्वारा किया गया। उन्होंने कहा कि यह पहल विद्यार्थियों को अनुभवात्मक शिक्षा से जोड़ने और उन्हें उद्योग की वास्तविक चुनौतियों के अनुरूप तैयार करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण है।
इस दौरान नेतृत्व क्षमता, भावनात्मक बुद्धिमत्ता, समय प्रबंधन, अनुकूलन क्षमता और टीम वर्क पर विशेष सत्र आयोजित हुए। इनसे विद्यार्थियों में सामूहिक कार्य क्षमता, तनाव प्रबंधन तथा बदलते व्यावसायिक वातावरण के अनुरूप अनुकूलन कौशल को और मजबूती मिली। समन्वयक प्रो. ललित तिवारी ने बताया कि विद्यार्थियों के व्यक्तित्व एवं कौशल विकास हेतु इस प्रकार की कार्यशालाएँ भविष्य में दब तथा भीमताल परिसरों में भी आयोजित की जाएंगी। यह आयोजन कुमाऊँ विश्वविद्यालय की उस प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है, जिसके अंतर्गत विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास और भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयारी को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है।
इस अवसर पर डॉ. लक्ष्मण रौतेला, डॉ. नरेंद्र कुमार, डॉ. दिग्विजय बिष्ट, बीसी ध्यानी,आरसी तिवारी, किशनंद शर्मा समेत अन्य लोग मौजूद रहें।





नमस्कार मैडम,
मैडम लोगों के वित्तीय संघर्ष का मुख्य कारण यह है कि उन्होंने स्कूल में कई साल गुजारने के बाद भी पैसों के बारे में कुछ नहीं सीखा इसका नतीजा यह होता है कि वह पैसों के लिए काम करना तो सीख जाते हैं लेकिन यह कभी नहीं सीख पाते कि पैसा उनके लिए किस तरह काम कर सकता है, तो मेरा मानना है कि हमें बच्चों को यह सीखना है कि पैसा हमारे लिए किस तरीके से काम करें, हम पैसों के लिए काम ना करें।मैडम हमारी दायित्व होते ही कुछ जैसे कि मॉर्टगेज, कंज्यूमर लोन, क्रेडिट कार्ड और इसके अलावा हमारे कुछ व्यय होते हैं जैसे कि टैक्स,मॉर्टगेज,स्थाई खर्चे,भोजन,कपड़े,मनोरंजन इत्यादि हमारे ब्यय होते हैं हमें इससे अपने को बाहर निकलना है और इसके अलावा मुझे लगता है कि हमें संपत्ति,स्टॉक, बांड, नोट्स, रियल एस्टेट, बौद्धिक संपदा पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए क्योंकि हमें यदि आर्थिक रूप से मजबूत बनना है तो हमें इन चीजों में ध्यान देना पड़ेगा।दूसरा में यह कहूंगा कि हमें अपने बच्चों को कानून की शिक्षा आवश्यक रूप से देनी चाहिए ताकि वह जब कभी भी कानूनी पछड़े पर पड़े तो अपने को सुरक्षित निकाल सके।तीसरा में यह कहूंगा कि हमें आज की स्थिति को देखते हुए बच्चों को आत्म सुरक्षा की शिक्षा अवश्य देनी चाहिए और चौथ में यह जरूर कहूंगा कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निर्माण होता है अतः हमें बच्चों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना चाहिए और कोशिश करनी चाहिए कि वह अच्छा खाएं,अच्छा व्यायाम करें और अपनी अच्छी मानसिक स्थिति और भावनात्मक स्थिति को सुधारे. धन्यवाद मैडम।