नैनीताल:::- कुमाऊँ विश्वविद्यालय अपने सामाजिक उत्तरदायित्व को निभाते हुए भारत सरकार के “टीबी मुक्त भारत” लक्ष्य को प्राप्त करने में योगदान देने के लिए एक नई पहल शुरू कर रहा है। इस कार्यक्रम के तहत विश्वविद्यालय आर्थिक रूप से कमजोर क्षय रोग (टीबी) के मरीजों को पोषण संबंधी सहायता और परामर्श प्रदान करेगा, जिससे उनका उपचार अधिक प्रभावी हो सके।

विश्वविद्यालय का योगदान
इस अभियान के तहत, चिकित्सकों द्वारा अनुशंसित पोषण आहार मरीजों को उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सके। इसके अलावा, कुमाऊँ विश्वविद्यालय फार्मेसी विभाग के कुछ छात्रों को इन मरीजों की नियमित काउंसलिंग और सहायता के लिए तैनात करेगा, ताकि वे अपनी दवा और उपचार संबंधी आवश्यकताओं को समय पर पूरा कर सकें।

कुलपति प्रो. दीवान एस रावत ने इस पहल पर कहा, “विश्वविद्यालय का उद्देश्य केवल शिक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाना भी है। हमारे प्रयासों से जरूरतमंद टीबी मरीजों को उचित पोषण और सही परामर्श मिलेगा, जिससे वे जल्द स्वस्थ हो सकें।”

8 मरीजों की पहचान, गोपनीयता होगी सुनिश्चित
अब तक 8 जरूरतमंद मरीजों की पहचान की जा चुकी है, लेकिन उनकी गोपनीयता बनाए रखी जाएगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उनकी पहचान सार्वजनिक न हो, जिससे वे बिना किसी सामाजिक दबाव के इस सहायता का लाभ उठा सकें।

टीबी उन्मूलन की दिशा में विश्वविद्यालय का संकल्प
कुमाऊँ विश्वविद्यालय भविष्य में इस अभियान को और अधिक विस्तारित करने की योजना बना रहा है। विश्वविद्यालय न केवल अधिक टीबी मरीजों तक सहायता पहुंचाने का प्रयास करेगा, बल्कि इस बीमारी के प्रति जागरूकता अभियान भी चलाएगा, ताकि लोग समय पर उपचार प्राप्त कर सकें और बीमारी को फैलने से रोका जा सके।

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