नैनीताल:::- उत्तराखणड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की आशा कार्यकर्ताओं ने 08 सूत्रिय मांगों को लेकर मंगलवार को तल्लीताल डांठ गाँधी चौक में धरना प्रदर्शन कर रोष व्यक्त करते हुए सीएमओ के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया।
इस दौरान आशाओं ने कहा कि उत्तराखण्ड के स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत आशाओं का विभाग में कोई भी सम्मान और वेतन नहीं है। आशाएं विभाग के सभी अभियानों और सर्वे में बिना किसी न्यूनतम वेतन और कर्मचारी के दर्जे के लगा दी गई हैं। गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशु की सेवा से शुरू करते हुए आज आशा वर्कर्स को सारे काम करने पड़ रहे हैं लेकिन सरकार आशाओं को न्यूनतम वेतन तक देने को तैयार नहीं है। आशाओं को उनके काम के अनुरूप पैसा मिलना तो दूर वादा किया गया पैसा भी नहीं मिल रहा है। आशाओं की लगातार ट्रेनिंग चलती रहती हैं लेकिन ट्रेनिंग में दिया जाने वाला पैसा इतना भी नहीं होता कि दूर दराज से आने वाली आशाएं अपना किराया दे सकें। आशाओं को मिलने वाला विभिन्न मदों का प्रति माह मिलने वाला पैसा छह छह माह तक नहीं मिल रहा है जिस कारण आशाएं बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। साथ अस्पताल स्टाफ का व्यवहार आशाओं के प्रति आम तौर पर बेहद अपमानजनक होता है। आशाओं को हर जगह प्रताड़ित होना पड़ता है सरकारी नियम है कि आशा वर्कर्स को सरकारी अस्पताल में ही डिलीवरी करानी होगी। परन्तु कई बार सरकारी अस्पताल में डॉक्टर गंभीर स्थिति में प्राइवेट या अन्य जगह दिखाने के लिए बोलते हैं। और जब आशा प्राइवेट में जाती ही तो उनके खिलाफ जांच बिठा दी जाती है जो कि बंद होना चाहिए। कहा कि 31 अगस्त 2021 यूनियन के आंदोलन के बाद आशाओं को मासिक मानदेय नियत करने और डीजी हेल्थ उत्तराखंड के आशाओं को लेकर बनाए गए प्रस्ताव में प्रतिमाह वेतन 11500 रूपए देने का वादा किया था लेकिन चार साल बाद भी वादा पूरा नहीं किया गया।
कहा कि यदि समयबद्ध तरीके से जल्द ही मांगे पूरी नहीं हुई तो आगामी 9 जुलाई को आशा वर्कर्स ट्रेड यूनियनों के राष्ट्रीय मंच की ओर से आहूत अखिल भारतीय आम हड़ताल में शामिल होंगी।

जिसमें आशाओं को मासिक मानदेय नियत करने व डीजी हेल्थ की ओर से आशाओं के मानदेय को 11500 रूपये करने को लेकर बनाए गए 2021 के प्रस्ताव को लागू करने का खटीमा में किया गया वादा तत्काल पूरा किया जाए।
आशाओं को न्यूनतम वेतन, कर्मचारी का दर्जा व  सेवानिवृत्त होने पर सभी आशाओं को अनिवार्य पेंशन का प्रस्ताव विधानसभा के इसी सत्र में पारित कर केंद्र सरकार को भेजा जाए। सेवानिवृत्त होने वाली आशाओं को मासिक पेंशन का प्रावधान होने तक रिटायरमेंट के समय 10 लाख की एकमुश्त धनराशि दी जाए। आशाओं को विभिन्न मदों के लिए दिए जाने वाले पैसे महीनों तक लटकाने के स्थान पर हर माह दिए जाए। आशाओं को ट्रेनिंग के दौरान प्रति दिन  500 रुपए का भुगतान किया जाए। सरकारी अस्पतालों को आशाओं के साथ सम्मानजनक व्यवहार करने का निर्देश दिए जाएं और तत्काल इसका आदेश जारी किया जाए। सभी सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों के खाली पदों को तत्काल भरा जाए। सभी अस्पतालों में आशा घर का निर्माण किया जाए।


इस दौरान यूनियन की अध्यक्ष कमला कुंजवाल, भगवती शर्मा, राधा रााणा, चन्द्रा सती, अनीता, प्रेमा बिष्ट, हेमा आर्या, पूनम आर्या, तुलसी बिष्ट, कुलविन्दी कौर, बसन्ती काण्डपाल, दीपा सुयाल, प्रेमा अधिकारी, शान्ती पांडे, सुमन बिष्ट, नीलम, हेमा ठठोला,शान्ति आर्य,मनीषा आर्य,सरिता कुरिया,हेमा बिष्ट, अनीता,विमला ठठोला,निर्मला चंद्र समेत लोग मौजूद रहे।

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