नैनीताल :::- कुमाऊँ विश्वविद्यालय में शोध, अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए कुलपति प्रो. दीवान सिंह रावत द्वारा अभिनव पहल की गई है। इससे जहाँ विश्वविद्यालय में शोध, अनुसंधान और नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा वहीं शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा। इसके तहत विश्वविद्यालय द्वारा सभी पात्र शिक्षकों के लिए आंतरिक अनुसंधान निधि (Internal Research Funding) की शुरुआत की गई। इसके तहत विज्ञान संकाय के शिक्षकों के लिए रू० 1,00,000 और कला/मानविकी के लिए रू० 75,000 धनराशि का प्रावधान किया गया है। प्रस्तावों की जांच एक विशेषज्ञ समिति द्वारा की जाएगी। कार्य की गुणवत्ता और अनुसंधान के आधार पर अनुशंसित प्रस्तावों के लिए वित्त पोषण बढ़ाया भी जाएगा।
विश्वविद्यालय के शिक्षकों एवं शोध छात्रों द्वारा राष्ट्रीय/अन्तराष्ट्रीय स्तर के सेमिनार में प्रतिभाग करने पर निधि प्रदान की शुरुआत की गई।
• पेटेंट आवेदन हेतु मार्गदर्शन एवं निधि की व्यवस्था हेतु पेटेंट सेल की स्थापना की गई।
विश्वविद्यालय द्वारा मानद प्रोफेसरों और विजिटिंग प्रोफेसर का प्रावधान शुरू किया गया है। प्रत्येक विभाग एक भारतीय और एक विदेशी प्रोफेसर को नामांकित कर सकता है। कला/मानविकी के लिए नामांकित विजिटिंग प्रोफेसर को पद्मश्री/राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार का प्राप्तकर्ता होना चाहिए, विज्ञानं के लिए नामांकित विजिटिंग प्रोफेसर को कम से कम दो विज्ञान अकादमियों का फेलो होना चाहिए।
स्नातक/परास्नातक छात्रों के लिए टैलेंट हंट/प्रतिभा खोज कार्यक्रम के तहत वित्त पोषण की शुरुआत की गई।
_टैलेंट हंट/प्रतिभा खोज कार्यक्रम के अंतर्गत निम्नलिखित गतिविधियां की जाएंगी-_
_1. यूजी/पीजी छात्रों को अनुसंधान अनुदान_
_2. सोशल मीडिया चैंपियनशिप_
_3. स्मृति चिन्ह डिज़ाइन प्रतियोगिता_
_4. उत्तराखंड के इतिहास, संस्कृति और भाषा पर प्रश्नोत्तरी_

इस अवसर पर कुलपति प्रो.दीवान सिंह रावत ने कहा कि अनुसंधान और नवाचार की गतिविधियाँ जहाँ रोजगार सृजन, रोजगार क्षमता और उद्यमशीलता को बढ़ाती हैं वहीं देश के आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देती हैं। अतः उच्च शिक्षा संस्थानों को प्रयोग, अनुसंधान और खोज को प्राथमिकता देने, नवाचार को प्रोत्साहित करने और इसे प्राप्त करने के लिए एक संस्कृति स्थापित करने की आवश्यकता है।

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